सिलसिला बातो का ख्यालो का (दिल में आया ख्याल तो बस लिख दिया !!)
चलते फिरते बिना प्रयोजन से लिखी बातो का सिलसिला !!
Thursday, 31 January 2008
वो चाहता है
वो चाहता है मैं बडे काम करूं
मैं चाहता हूँ अभी आराम करूं
ये वो भी जानता है ।
मुझे सुकून कि तलाश है
इसलिए भी मेरा चैन छीन लेता है .
उसके साथ
तेरे ख्यालो मे खोया था
सारी रात से नही सोया था ।
अबकी बार बारिश होने देना
मुझे भीगना है उसके साथ .
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