Thursday 30 July, 2009

बरसो चांद !!!


एक बादल
उड़ता हुआ
किसी परबत
पर जा रहा था
मैंने पूछा
ज़ल्दी में
लगते हो दोस्त !
उसने कहा
हाँ !!
मुझे दिन ढलने
से पहले उस
परबत पर जाना है।
वो कई दिनों से
मेरे इतंजार में है ।
आज मैं
उसे तल्सीन
करना चाहता हूँ
उसको भिगो देना
चाहता हूँ ।
मैं भी तुम्हारे
बरसने का
इंतजार कर
रहा हूँ ।
कभी तुम भी आओ
खुलके बरसो
चाँद !!!
इस सावन को
तल्सीन कर दो