Tuesday 15 April, 2008

आस्माँ उठाये

चलो उंगली पे अपनी
आस्माँ उठाये
थोड़े से फूल चांद पे भी उगाये
सितारों को टोकरी मे भरके
जमी पे ले आयें
कभी जमी को ऊपर तो
कभी आस्माँ को नीचे ले आए
खुशियाँ मनाएं /सब गुनगुनायें

कितने दिनों से सूरज नहाया नही है
थोड़ा सा साबुन इसको भी लगाये
पानी का फौव्वारा इस पे भी चलाये
कभी जमी को ऊपर तो
कभी आस्माँ को नीचे ले आए
खुशियाँ मनाएं /सब गुनगुनायें ।

बादल के गाँव मे चलकर
थोडी नाव चलाये
पानी भरा है उसके पेट मे
थोडी गुदगुदी भी लगाये
उसको गुदगुदी करने से थोड़ा
पानी बरसेगा
पानी पी पी के मोटा हुआ उसका पेट
ज़रा सा पिचकेगा ।
कभी जमी को ऊपर तो
कभी आस्माँ को नीचे ले आए
खुशियाँ मनाएं /सब गुनगुनायें

रुई कात रही है कब से
चांद पे बैठी अम्मा
उसके सफ़ेद बालों मे
चलो थोड़ा सा खिजाब लगाये
कभी जमी को ऊपर तो
कभी आस्माँ को नीचे ले आए
खुशियाँ मनाएं /सब गुनगुनायें


चाँद पे बैठी अम्मा की
चरखी मे थोड़े से रंग लगाये
ताकि दिन मे उसकी रुई के
बादल रंग बिरंगे हो जायें
रंगो की पोटली उसको देके आए
रोज़ देखे रंगीन आसमान
कभी जमी को ऊपर तो
कभी आस्माँ को नीचे ले आए
खुशियाँ मनाएं /सब गुनगुनायें ।

Wednesday 2 April, 2008

हर बात !!

इस बात पे
उस बात पे
तेरी हर बात पे
छोटी छोटी बात पे
बड़ी बड़ी बात पे
मैं अब भी करता
हूँ इरशाद !!

तेरी- मेरी ,मेरी- तेरी
मुलाक़ात के दिन
वो प्यार के दिन
मैं अब भी करता
हूँ याद !!

रूठ जाने के दिन
फ़िर मनाने के दिन
सुबह सुबह तेरी गली
तेरे कूचे मे आने के दिन
बेवजह सी बातों के दिन
बेसबब झगडों के दिन
अब भी मुझे
आते हैं याद !!

चाचा चौधरी ,बिल्लू पिंकी
साबू और तेरा मेरा साथ
अब भी नींद मे आ जाता है
अक्सर ...
कॉमिक्स के रंग बिरंगे पन्ने
उन पन्नों पे धड़कते अपने
दिल को बना देना
हमारे घर से ,तुम्हारे घर तक
रोज़ रोज़ कॉमिक्स का
आना जाना !!

रंग बिरंगे पन्नों पे धड़कते दिल
मे कभी कभी तुम्हारा प्यार से
"A -A " लिख देना
अपने प्यार के इजहार का रंग
रंग बिरंगे पन्नों पे भर देना
फ़िर तसल्ली रख के
दिल ही दिल मे ये सोचना
प्यार का ये इजहार
बेशक चचा चौधरी बिल्लू
पिंकी को पता है
घर वालो को इसकी भनक भी
नही ......
इजहारे वफ़ा कॉमिक्स के पन्नों
पर जो चलता रहा
वो याद आता है अब भी ।

वफ़ा की राह मे जो
आएगा कभी कोई
दुश्मन अपना
साबू का मुक्का
उसे माकूल जवाब
देगा ....

वो पन्ने आज भी
याद आते हैं ...
धड़कता दिल दिखता
है मुझे तेरा मेरा
दिल मे लिखा
"A " A " भी !

लेकिन आज भी क्यों
यूँ लगता है ,
कि चाचा चौधरी का
दिमाग कंप्यूटर से
भी तेज़ चलता होगा
हर मुश्किल का हल
उनके पास होता है
मुझे अब भी
एतबार है की
चाचा चौधरी का
कंप्यूटर से भी
तेज़ दिमाग
मेरी तेरी
सारी उलझन को
सुलझा लेगा ।