कविता में
मैं तुम्हे देखूंगा
शब्दों के लिबास
को ओढे हुए
तुम मुझे नज़र
आ ही जाओगी
कविता में
तुम्हे देखूंगा
छबियां बनाऊंगा
सफे पर तुम्हारी
जबकि
कूची लकीरे
मेरा हुनर नही
फ़िर कुछ तस्वीरे
बन जाएँगी
शायद तुम हसो कभी
जिन्हें देखके
कविता में देखूंगा
हर्फो की रेशमी चादर
हर्फो का ज़रियों वाला
लिबास ओढे
तुम मुझे नज़र
आ ही जाओगी
कभी ग़ज़ल
कभी नज़्म
बनके मेरे
पन्नो पर
तुम जन्नत की
गलियों को छोडके
उतर आओगी
फ़िर
किसी धुन को
छेड़ कर मैं
तुम्हे गुनगुनाने की
कोशिश करूँगा
आलाप
मुखड़े
अंतरे
राग रागनी
बनके तुम मेरे
गीतों में आ जाओगी
गुलगोशियों में
रहने वाले सुखनवर
की तरह मैं
फूलों में
तुम्हे देख लूँगा
कुछ देर चाँद
से करके गुफ्तगू
उसकी किरणों में
तुम्हे देख लूँगा ।
और
अक्सर मेरे गीतों में
जो चाँद आता है !!
वो चाँद तुम ही तो हो
आयत की तरह
जब कोई शब्द
मेरी कलम से
आएगा
तेरा अक्स तेरा नूर
मुझे नज़र आएगा
मन्दिर के दिए
में तुम्हे देखूंगा
उसकी रौशनी को
आँखों में भरके
तुम्हे क़ैद कर लूँगा
रुबाइयाँ जब दिल की
गहराइयों से निकले
मैं हर हर्फ़ तुम्हे
ढूँढ लूँगा
बहती हवा में
तेरी खुशबू जब
आएगी मुझ तक
फिजाओं से तेरा
पता पूछ लूँगा
चाँद तुमसे
बहुत कुछ कहना है
अभी
कि दूर तलक
चले अब ये
सिलसिला बातो का
ख्यालों का
मैं तुम्हे देखूंगा
शब्दों के लिबास
को ओढे हुए
तुम मुझे नज़र
आ ही जाओगी
कविता में
तुम्हे देखूंगा
छबियां बनाऊंगा
सफे पर तुम्हारी
जबकि
कूची लकीरे
मेरा हुनर नही
फ़िर कुछ तस्वीरे
बन जाएँगी
शायद तुम हसो कभी
जिन्हें देखके
कविता में देखूंगा
हर्फो की रेशमी चादर
हर्फो का ज़रियों वाला
लिबास ओढे
तुम मुझे नज़र
आ ही जाओगी
कभी ग़ज़ल
कभी नज़्म
बनके मेरे
पन्नो पर
तुम जन्नत की
गलियों को छोडके
उतर आओगी
फ़िर
किसी धुन को
छेड़ कर मैं
तुम्हे गुनगुनाने की
कोशिश करूँगा
आलाप
मुखड़े
अंतरे
राग रागनी
बनके तुम मेरे
गीतों में आ जाओगी
गुलगोशियों में
रहने वाले सुखनवर
की तरह मैं
फूलों में
तुम्हे देख लूँगा
कुछ देर चाँद
से करके गुफ्तगू
उसकी किरणों में
तुम्हे देख लूँगा ।
और
अक्सर मेरे गीतों में
जो चाँद आता है !!
वो चाँद तुम ही तो हो
आयत की तरह
जब कोई शब्द
मेरी कलम से
आएगा
तेरा अक्स तेरा नूर
मुझे नज़र आएगा
मन्दिर के दिए
में तुम्हे देखूंगा
उसकी रौशनी को
आँखों में भरके
तुम्हे क़ैद कर लूँगा
रुबाइयाँ जब दिल की
गहराइयों से निकले
मैं हर हर्फ़ तुम्हे
ढूँढ लूँगा
बहती हवा में
तेरी खुशबू जब
आएगी मुझ तक
फिजाओं से तेरा
पता पूछ लूँगा
चाँद तुमसे
बहुत कुछ कहना है
अभी
कि दूर तलक
चले अब ये
सिलसिला बातो का
ख्यालों का
सिलसिला बातों का ख्यालों का ,अब दूर तलक जाए
आस्मां से आगे जाकर ,खुदा तक पहुँच जाए
--- अमिताभ )
आस्मां से आगे जाकर ,खुदा तक पहुँच जाए
--- अमिताभ )