Friday, 20 March 2009

चाँद तुमसे बहुत कुछ कहना है अभी ...


कविता में
मैं तुम्हे देखूंगा
शब्दों के लिबास
को ओढे हुए
तुम मुझे नज़र
ही जाओगी
कविता में
तुम्हे देखूंगा
छबियां बनाऊंगा
सफे पर तुम्हारी
जबकि
कूची लकीरे
मेरा हुनर नही
फ़िर कुछ तस्वीरे
बन जाएँगी
शायद तुम हसो कभी
जिन्हें देखके
कविता में देखूंगा
हर्फो की रेशमी चादर
हर्फो का ज़रियों वाला
लिबास ओढे
तुम मुझे नज़र
ही जाओगी
कभी ग़ज़ल
कभी नज़्म
बनके मेरे
पन्नो पर
तुम जन्नत की
गलियों को छोडके
उतर आओगी
फ़िर
किसी धुन को
छेड़ कर मैं
तुम्हे गुनगुनाने की
कोशिश करूँगा
आलाप
मुखड़े
अंतरे
राग रागनी
बनके तुम मेरे
गीतों में जाओगी
गुलगोशियों में
रहने वाले सुखनवर
की तरह मैं
फूलों में
तुम्हे देख लूँगा
कुछ देर चाँद
से करके गुफ्तगू
उसकी किरणों में
तुम्हे देख लूँगा
और
अक्सर मेरे गीतों में
जो चाँद आता है !!
वो चाँद तुम ही तो हो
आयत की तरह
जब कोई शब्द
मेरी कलम से
आएगा
तेरा अक्स तेरा नूर
मुझे नज़र आएगा
मन्दिर के दिए
में तुम्हे देखूंगा
उसकी रौशनी को
आँखों में भरके
तुम्हे क़ैद कर लूँगा
रुबाइयाँ जब दिल की
गहराइयों से निकले
मैं हर हर्फ़ तुम्हे
ढूँढ लूँगा
बहती हवा में
तेरी खुशबू जब
आएगी मुझ तक
फिजाओं से तेरा
पता पूछ लूँगा
चाँद तुमसे
बहुत कुछ कहना है
अभी
कि दूर तलक
चले अब ये
सिलसिला बातो का
ख्यालों का



(सालगिरह मुबारक "सिलसिला बातो का ख्यालो का ..." ब्लॉग के एक साल पूरे हुएआप सभी सुधि पाठकों का दिल से आभार
सिलसिला बातों का ख्यालों का ,अब दूर तलक जाए
आस्मां से आगे जाकर ,खुदा तक पहुँच जाए
---
अमिताभ )

7 comments:

मोहन वशिष्‍ठ said...

बेहतरीन कविता लिखी है जी आपने बहुत ही अच्‍छी लगी धन्‍यवाद और ढेरों बधाईयां

prem.mission08 said...

प्रिय अमिताभ,

अमिताभ तुम्हारे शब्दों की आभा से सोहे भूमंडल
चाँद तुम्हारा ,दाग़ न कोई ,साथ प्रेम के आगे चल

बेहतरीन !! अच्छा लगा ब्लॉग्गिंग के एक साल पूरे हो गए .
उम्मीद करता हूँ ये कारवां आगे बढ़ता रहेगा

प्रेम !!सस्नेह
प्रेम परिहार

prem.mission08 said...

प्रिय अमिताभ,

अमिताभ तुम्हारे शब्दों की आभा से सोहे भूमंडल
चाँद तुम्हारा ,दाग़ न कोई ,साथ प्रेम के आगे चल

बेहतरीन !! अच्छा लगा ब्लॉग्गिंग के एक साल पूरे हो गए .
उम्मीद करता हूँ ये कारवां आगे बढ़ता रहेगा

प्रेम !!सस्नेह
प्रेम परिहार

सुप्रिया said...

बहुत बढ़िया अमिताभ जी ,ख्याल बहुत ही उत्तम
ब्लॉग्गिंग की सालगिरह की हार्दिक बधाई .
मुझे ये पंक्तिया बहुत अच्छी लगी
हर्फो की रेशमी चादर
हर्फो का ज़रियों वाला
लिबास ओढे
तुम मुझे नज़र
आ ही जाओगी
कभी ग़ज़ल
कभी नज़्म
बनके मेरे
पन्नो पर
तुम जन्नत की
गलियों को छोडके
उतर आओगी
सुन्दर रचना . बधाईयां

सुप्रिया said...
This comment has been removed by the author.
Amit K Sagar said...

रोचक...
--
सदियाँ बतियाती आईं हैं चाँद से
मगर बात पूरी नहीं हुई इत्मीनान से
चाँद अभी बहुत कुछ कहना है तुझसे...
--
खूबसूरत.
---
lv u bro

Unknown said...

CHAND KO DHARTI PAR LANE KI KOSHISH MEIN SURAJ SE PANGA KYON LE RAHE HO.....CHAND WAHI AACHA LAGTA H.....HAMARE AASMA MEIN...WOH HUM SABKA CHAND H....KAVITA KI BAAT KARU TOH...MUJHE KAFI AACHI LAGE....KUCH NAYE SHABD LAYE HO ISS BAR.....HAPPY ANNIVERSARY TO U AND UR BLOG....LAGE RAHO BOBBY BHAI