Tuesday, 10 March 2009

रंग उल्फत का


रंग उल्फत का अबकी होली दीजो
अंग संग मेरी रूह भी रंग दीजो

लाल पीला गुलाबी हरा नीला
रंग तोरा श्याम छैल छबीला

अपने रंग से अबकी रंग दीजो
अंग संग मेरी रूह भी रंग दीजो

रंग संग हो गई चुनर रंग
तेरे संग जागती सोती उमंग

तोरे रंग से महके मेरे दिन
तोरे रंग में रंगे मेरे पल छिन
तोरे रंग का जादू अब मुझ पर
रंग तोरा मेरी राहों का रहबर

अपनी उमंग अबकी भर दीजो
अंग संग मेरी रूह भी रंग दीजो

मेरे कतरे के समन्दर कीजो
अंग संग मेरी रूह भी रंग दीजो

मेरी रूह पर जबसे पड़ा तोरा रंग
मन मेरा जगा ,मेरे संग हुआ रंग
अपने ही अंग से अबकी रंग दीजो
रंग उल्फत का अबकी होली दीजो

(आप सभी को होली की रंगों भरी शुभकामनायें !!!)

1 comment:

karmowala said...

होली पर आपकी रचना पड़ी जो मुझे बेहद खुबसूरत लगी जिसके अल्फाज और उसमे प्रभू प्रेम सब कुछ प्रसंसनीय लगा
आपको मेरा प्रणाम