Wednesday, 31 March 2010

सिरहाने पर चाँद !!!


दिल से होके गुजरतें हैं रास्ते इश्क के ,
चाँद सूरज से भी जाते हैं आगे रास्ते इश्क के

इश्क में , ख्वाब में, ख्याल में
नामुमकिन भी मुमकिन होता है

चाँद तक रोज़ जाते हैं हम
चाँद से रोज़ आते हैं हम

प्यार कभी अक्चुअल, प्यार कभी वर्चुअल
प्यार कभी खुली किताब ,प्यार कभी पर्सनल

इश्क में ख्वाब में
ख्याल में चाँद सिरहाने पर होता है

2 comments:

Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय) said...

कुछ कही अधूरा सा नही लग रहा??
क्षमा कीजियेगा अगर ऐसा न हो तो.. बस लगा मुझे तो सोंचा की आपसे बोल दूं

Randhir Singh Suman said...

nice