Thursday, 26 February 2009

दादी नानी

किस्से कहानीयों की
किताब दादी नानी
अच्छी दोस्त दादी नानी

माँ जब डांट दे ,
समझाती बुझाती
दादी नानी
बच्चों में बच्चा होती
दादी नानी

उसकी थैली
पान सुपारी
उसके किस्सों में
राजा रानी राजकुमारी

जाने कैसे वो
जंगल ले जाए
परियों का देश
घुमाये

मीठी मीठी
बातें कहती
शहद रसीला
दादी नानी

कोई दोस्त
जब मिले न मुझको
दोस्त मेरा बनती
दादी नानी

मेरी हर
फरमाइश सुनती
पूरा उसका करती
दादी नानी

जब मैं पास
नही होता हूँ
उदास होती
दादी नानी
(तनु के जन्मदिन पर )

Friday, 20 February 2009

रुत ए बहार


रुत ए बहार , इश्क़ बेशुमार
गुलगोशियों के आलम में
चाँद पर इश्क़ का ख़ुमार

वक्त को थाम लो
एक हसीन शाम दो
रात जब ढलने लगे
सुबह का सलाम दो

लहरों की ऊँगली थाम के
ले चल मुझे समन्दर के पार
रुत ए बहार इश्क बेशुमार

तारों को गिन ले
फलक से चुन ले
लम्हों के आलम को
यादों का नाम दो

रुत ए बहार , इश्क़ बेशुमार
गुलगोशियों के आलम में
चाँद पर इश्क़ का ख़ुमार

Saturday, 14 February 2009

प्यार के दिन

(एक)
प्यार के दिन तुझको सलाम

जब इश्क बंदगी हो जाए
इश्क ज़िन्दगी बन जाए

बेलगाम ख्वाइशों के घोडे
ख्वाबों में दौडे/ख्यालों में दौडे

झरोखें पर रख दिया तोहफा चाँद का

जब इश्क इनायत हो जाए
एहसास इबादत बन जाए

नीले आस्मां में परिंदे इश्क के
उड़ते उड़ते दूर तलक जाए

दिखा ख्वाब फ़िर आँखे मुझको
पलकों अलकों पर/ मैं धर लूँ ख्वाब
ज़िन्दगी जैसे/ कोई ग़ज़ल तरन्नुम
हर्फ़ बने दिल का एहसास

(दो )

तेरे मेरे प्यार के रंग
प्रीत के रंग
उम्मीद के रंग

आकाश से ऊँचे रंग
सागर से गहरे रंग
इन रंगों से मिल जाते है
इन रंगों मे घुल जाते है
तेरे मेरे प्यार के रंग

तेरे मेरे प्यार के रंग
प्रीत के रंग
उम्मीद के रंग

प्रीत के इन रंगों मे भीगे
मन का हर कोना
दिल के आस्मां में उतरे
चाँद सा कोई खिलौना

तेरे मेरे साथ है रंग
तेरे मेरे बाद हैं रंग !!

तेरे मेरे प्यार के रंग
प्रीत के रंग
उम्मीद के रंग !!

और

तुम्हारे लिए ...
मुद्दत हुई तुमसे
मिले हुए
लेकिन
दिल ये कहता है
प्यार का ये रंग
जन्मो पुराना है

Friday, 6 February 2009

बोसा बसंत का


बोसा बसंत का
मन की उमंग का

बोसा बसंत का
दिल की उमंग का
ख्वाबों सी पतंग का

रूह को रंगे रंगरेज़
बोसा बसंत का

कुदरत परचढा
फूलों का रंग

डाल डाल फूलों की चादर
नीले आसमान के नीचे
बिछ गए फूलों के गलीचे

बोसा बसंत का

खुदा नही सकता था
हम सबके सामने
कुदरत में रंग भरे
ताकि महसूस करे
हम खुदा को
देख फूलों की चादरें

कुदरत में आई फूलों की सिलवट
महकी फिजा महकती आहट

ख्वाब जैसे नींद छोड़ के
ज़मी पर गए
खुदा तेरे रंग निराले
हम सब को भा गए

पीली पीली सरसों
रंग बिरंगे फूल
इस ज़मी पर छा गए
खुदा गुनगुनी धूप में
बैठ के हम धुनी रमायें
रंग इस फिजा का
अपनी रूह पर चढाएं

कभी खुदा फूलों की
इस चादर पर तुम भी
बैठने आओ
छिपते फिरते हो कहाँ
हमसे भी मिलते जाओ

यकीन हम सबको
एक बार ये हो जाए
होता है खुदा
फूलों सा हँसता है खुदा
हमको
महसूस हो जाए

बोसा बसंत का
दिल की उमंग का
ख्वाबों सी पतंग का
रूह को रंगे रंगरेज़
बोसा बसंत का