बोसा बसंत का
मन की उमंग का
बोसा बसंत का
दिल की उमंग का
ख्वाबों सी पतंग का
रूह को रंगे रंगरेज़
बोसा बसंत का
कुदरत परचढा
फूलों का रंग
डाल डाल फूलों की चादर
नीले आसमान के नीचे
बिछ गए फूलों के गलीचे
बोसा बसंत का
खुदा आ नही सकता था
हम सबके सामने
कुदरत में रंग भरे
ताकि महसूस करे
हम खुदा को
देख फूलों की चादरें
कुदरत में आई फूलों की सिलवट
महकी फिजा महकती आहट
ख्वाब जैसे नींद छोड़ के
ज़मी पर आ गए
खुदा तेरे रंग निराले
हम सब को भा गए
पीली पीली सरसों
रंग बिरंगे फूल
इस ज़मी पर छा गए
खुदा गुनगुनी धूप में
आ बैठ के हम धुनी रमायें
रंग इस फिजा का
अपनी रूह पर चढाएं
कभी खुदा फूलों की
इस चादर पर तुम भी
बैठने आओ
छिपते फिरते हो कहाँ
हमसे भी मिलते जाओ ।
यकीन हम सबको
एक बार ये हो जाए
होता है खुदा
फूलों सा हँसता है खुदा
हमको महसूस हो जाए
बोसा बसंत का
दिल की उमंग का
ख्वाबों सी पतंग का
रूह को रंगे रंगरेज़
बोसा बसंत का
मन की उमंग का
बोसा बसंत का
दिल की उमंग का
ख्वाबों सी पतंग का
रूह को रंगे रंगरेज़
बोसा बसंत का
कुदरत परचढा
फूलों का रंग
डाल डाल फूलों की चादर
नीले आसमान के नीचे
बिछ गए फूलों के गलीचे
बोसा बसंत का
खुदा आ नही सकता था
हम सबके सामने
कुदरत में रंग भरे
ताकि महसूस करे
हम खुदा को
देख फूलों की चादरें
कुदरत में आई फूलों की सिलवट
महकी फिजा महकती आहट
ख्वाब जैसे नींद छोड़ के
ज़मी पर आ गए
खुदा तेरे रंग निराले
हम सब को भा गए
पीली पीली सरसों
रंग बिरंगे फूल
इस ज़मी पर छा गए
खुदा गुनगुनी धूप में
आ बैठ के हम धुनी रमायें
रंग इस फिजा का
अपनी रूह पर चढाएं
कभी खुदा फूलों की
इस चादर पर तुम भी
बैठने आओ
छिपते फिरते हो कहाँ
हमसे भी मिलते जाओ ।
यकीन हम सबको
एक बार ये हो जाए
होता है खुदा
फूलों सा हँसता है खुदा
हमको महसूस हो जाए
बोसा बसंत का
दिल की उमंग का
ख्वाबों सी पतंग का
रूह को रंगे रंगरेज़
बोसा बसंत का
4 comments:
अनहद मस्ती. अनहद प्यार
जिंदगी ऐसे हुई गुलजार।
शुभकामना,
हिमांशु
nice one
lovely poetry .
कभी खुदा फूलों की
इस चादर पर तुम भी
बैठने आओ
छिपते फिरते हो कहाँ
हमसे भी मिलते जाओ ।
bada hi sufi mizaz hai amitabh ji .
कभी खुदा फूलों की
इस चादर पर तुम भी
बैठने आओ
छिपते फिरते हो कहाँ
हमसे भी मिलते जाओ ।
क्या खूब लिखते अमिताभ भाई मिले एक दिन जब हम उस परमात्मा से तो आपका नाम जरूर लेंगे
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