Saturday, 14 February 2009

प्यार के दिन

(एक)
प्यार के दिन तुझको सलाम

जब इश्क बंदगी हो जाए
इश्क ज़िन्दगी बन जाए

बेलगाम ख्वाइशों के घोडे
ख्वाबों में दौडे/ख्यालों में दौडे

झरोखें पर रख दिया तोहफा चाँद का

जब इश्क इनायत हो जाए
एहसास इबादत बन जाए

नीले आस्मां में परिंदे इश्क के
उड़ते उड़ते दूर तलक जाए

दिखा ख्वाब फ़िर आँखे मुझको
पलकों अलकों पर/ मैं धर लूँ ख्वाब
ज़िन्दगी जैसे/ कोई ग़ज़ल तरन्नुम
हर्फ़ बने दिल का एहसास

(दो )

तेरे मेरे प्यार के रंग
प्रीत के रंग
उम्मीद के रंग

आकाश से ऊँचे रंग
सागर से गहरे रंग
इन रंगों से मिल जाते है
इन रंगों मे घुल जाते है
तेरे मेरे प्यार के रंग

तेरे मेरे प्यार के रंग
प्रीत के रंग
उम्मीद के रंग

प्रीत के इन रंगों मे भीगे
मन का हर कोना
दिल के आस्मां में उतरे
चाँद सा कोई खिलौना

तेरे मेरे साथ है रंग
तेरे मेरे बाद हैं रंग !!

तेरे मेरे प्यार के रंग
प्रीत के रंग
उम्मीद के रंग !!

और

तुम्हारे लिए ...
मुद्दत हुई तुमसे
मिले हुए
लेकिन
दिल ये कहता है
प्यार का ये रंग
जन्मो पुराना है

2 comments:

Amit K Sagar said...

umda bhaiji !!

karmowala said...

आकाश से ऊँचे रंग
सागर से गहरे रंग
इन रंगों से मिल जाते है
इन रंगों मे घुल जाते है
तेरे मेरे प्यार के रंग

नीले आस्मां में परिंदे इश्क के
उड़ते उड़ते दूर तलक जाए

दोनों ही रचना बहुत सुंदर लगी काफी दिनों बाद आपकी रचना पढ़ रहा हूँ इसके लिए क्षमा करना