Monday, 14 July 2008

साईं बाबा


जीवन तपती धूप
बदले इसके रंग रूप
जीवन को छांव मिल जाती
जीवन खिल जाता है
जो साईं की शरण में
आता है

मेरे मक्का और काबा
शिर्डी के साईं बाबा

पीर पीड़ा हरता है
पीर की किरपा से
जीवन संवरता है
पीड़ा को हरते
जीवन को सहज करते
साईं बाबा

पानी से दीप जल जाते है
जीवन सुमन खिल जाते है
बाबा की कृपा से होती
जीवन सुमन की वृष्टि
ऐसा कोई नही जिस पर
नही है बाबा की दया
की दृष्टि

रूह भी गाने लगती है
सांसे भी भजने लगती है
सांसों में लीन लीन
जीवन का एहसास
विश्वास
साईं
बाबा

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