गुमसुम सी क्यों है मुनिया
पूछे तितली पूछे बगिया
गुमसुम सी क्यों है मुनिया
गुमसुम सी क्यों है मुनिया
मुनिया मुनिया रानी
सुन भी लो हमसे एक कहानी
गिलहरी गिट पिट खट पट करती
दूब की खाट पर पेड़ों से उतरी
पानी की क्यारी में चिडियां
छप छप डुबकी मारे
मुनिया को मनाये मिलके
सारे नज़ारे
मुनिया की टोपी में
भर डाले चांदी के सिक्के
मुनिया के पास लेके आई
बगिया फूलों के गुलदस्ते.
सबकी धींगा मस्ती से
उदासी हुयी फुर्र फुर
सर सर कर हवा लहरायी
तितलियों ने फ़िर दौड़ लगायी
मुनिया भागी उनके पीछे
ऊपर नीचे आगे पीछे
मुनिया क्या मुस्कायी
बगिया में खुशियाँ छायी
पूछे तितली पूछे बगिया
गुमसुम सी क्यों है मुनिया
गुमसुम सी क्यों है मुनिया
मुनिया मुनिया रानी
सुन भी लो हमसे एक कहानी
गिलहरी गिट पिट खट पट करती
दूब की खाट पर पेड़ों से उतरी
पानी की क्यारी में चिडियां
छप छप डुबकी मारे
मुनिया को मनाये मिलके
सारे नज़ारे
मुनिया की टोपी में
भर डाले चांदी के सिक्के
मुनिया के पास लेके आई
बगिया फूलों के गुलदस्ते.
सबकी धींगा मस्ती से
उदासी हुयी फुर्र फुर
सर सर कर हवा लहरायी
तितलियों ने फ़िर दौड़ लगायी
मुनिया भागी उनके पीछे
ऊपर नीचे आगे पीछे
मुनिया क्या मुस्कायी
बगिया में खुशियाँ छायी
5 comments:
तितलियाँ -बचपन कौंध गया
wah due ji pari tumhe tau ki pehle kavita mubarak ho!!
Waah....Munia ke saath Mishti yaad aa gayii...bahut pyari rachna hai aap ki
.
Neeraj
सर सर कर हवा लहरायी
तितलियों ने फ़िर दौड़ लगायी
अमिताभ जी ,
आपकी रचनाओं में जो सहजता होती है .वो वाकई बेमिसाल है . बगीचे में लगा मैं भी मुनिया को मना रही हूँ . आपकी ये सुंदर सी बगिया कल मेरे ख्वाब में भी आई . बहुत ही सुंदर सरल और सुन्दरतम !!
हमें फ़िर से बच्चा बनने के लिए
दिल से आभार
aapki har kavita sundar hai. kavita me nirmal bachpan ka bhaav bahut achha lagta hai.aise hi likhte rahiye.
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