Tuesday, 7 October 2008

चाँद हम आ रहे हैं


चाँद तक पहुंच रहा अरमान
चाँद पर जा रहा चंद्रयान
चाँद पर जा रहा हिंदुस्तान

चाँद तुझे नज़दीक से देखना है
चाँद फुर्सत में एक रोज़ तेरे
संग बैठना है

कभी मामू कभी महबूब
चाँद कितनी शक्लों में नज़र
आता रहा
दूर से ही चाँद हमें भरमाता रहा

कभी माँ ने थाली में परोसा चाँद
कभी पढ़ा किताबों में
चाँद
पड़ोसी है ।

ज़मी के इर्द गिर्द घूमता
फिरता
ज़मी के साथ साथ चाँद चलता

कभी बढे कभी घटे
चाँद के नूर और जलवे
कुछ यूँ दिखे

तन्हाई में दोस्त हमदम चाँद
सितारों के झीनी चादर को
ओढे चाँद ।

चाँद एक पतंग है
जिसकी गिरफ्त में दिल बंद है
फलक का नूर चाँद
अब दूर नही चाँद

अदब है लिहाज है
चाँद ग़ज़ल ओ शायरी का
हमराज़ है .

चंद्रयान जाके चाँद से कहियो
हम सबका पैगाम
चाँद को दियो हम सबका
सलाम ।

चाँद हम आ रहे है
चाँद हिंदुस्तान का अरमान
आ रहा है ।

( अक्तूबर अनिमेष दा के जन्म दिन पर उन्हें ढेर सारी बधाई शुभकामनायें )

1 comment:

Unknown said...

animesh bhai ko janamdin mubarak ho.....animesh bhai ek din bethana hai aap k saath