Monday, 20 October 2008

एक थाल मोती से भरा है


एक थाल मोती से भरा है
सबके सर पर औंधा धरा है
प्रीत की अनोखी रीत
जो हारे इसमे उसकी होती जीत

प्रीत करो पिया से ऐसे
दुनिया में बस पिया हो जैसे
आज रंग भरो प्रेम का
पिया के नाम से मांग सजा लो
विरह मिलन जो भी मिले
पिया के नाम से उसे अपना लो

आज रंग खिला है चाँद का
पी का नूर चाँद पर आया
प्रीत का रंग जो चढ़ जाए
दूजा रंग न चढ़ने पाए

कोई पहेली कहो खुसरो
कोई रुबाई कहो खुसरो
आज महफिल फ़िर सजा लो
मुझे भी सुखनवर बना दो
(आज ख्वाजा अमीर खुसरो सहाब का उर्स है । तूती हिंद ख्वाजा की पवित्र दरगाह पर श्रद्धा और अहोभाव के साथ अर्पित )

1 comment:

makrand said...

कोई पहेली कहो खुसरो
कोई रुबाई कहो खुसरो
आज महफिल फ़िर सजा लो
मुझे भी सुखनवर बना दो
wah saheb
kya baat hey
well composed with photograph
regards