एक थाल मोती से भरा है
सबके सर पर औंधा धरा है
प्रीत की अनोखी रीत
जो हारे इसमे उसकी होती जीत
प्रीत करो पिया से ऐसे
दुनिया में बस पिया हो जैसे
आज रंग भरो प्रेम का
पिया के नाम से मांग सजा लो
विरह मिलन जो भी मिले
पिया के नाम से उसे अपना लो
आज रंग खिला है चाँद का
पी का नूर चाँद पर आया
प्रीत का रंग जो चढ़ जाए
दूजा रंग न चढ़ने पाए
कोई पहेली कहो खुसरो
कोई रुबाई कहो खुसरो
आज महफिल फ़िर सजा लो
मुझे भी सुखनवर बना दो
सबके सर पर औंधा धरा है
प्रीत की अनोखी रीत
जो हारे इसमे उसकी होती जीत
प्रीत करो पिया से ऐसे
दुनिया में बस पिया हो जैसे
आज रंग भरो प्रेम का
पिया के नाम से मांग सजा लो
विरह मिलन जो भी मिले
पिया के नाम से उसे अपना लो
आज रंग खिला है चाँद का
पी का नूर चाँद पर आया
प्रीत का रंग जो चढ़ जाए
दूजा रंग न चढ़ने पाए
कोई पहेली कहो खुसरो
कोई रुबाई कहो खुसरो
आज महफिल फ़िर सजा लो
मुझे भी सुखनवर बना दो
(आज ख्वाजा अमीर खुसरो सहाब का उर्स है । तूती ए हिंद ख्वाजा की पवित्र दरगाह पर श्रद्धा और अहोभाव के साथ अर्पित )
1 comment:
कोई पहेली कहो खुसरो
कोई रुबाई कहो खुसरो
आज महफिल फ़िर सजा लो
मुझे भी सुखनवर बना दो
wah saheb
kya baat hey
well composed with photograph
regards
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