Saturday 26 July, 2008

बगिया में खुशियाँ


गुमसुम सी क्यों है मुनिया
पूछे तितली पूछे बगिया
गुमसुम सी क्यों है मुनिया
गुमसुम सी क्यों है मुनिया

मुनिया मुनिया रानी
सुन भी लो हमसे एक कहानी
गिलहरी गिट पिट खट पट करती
दूब की खाट पर पेड़ों से उतरी

पानी की क्यारी में चिडियां
छप छप डुबकी मारे
मुनिया को मनाये मिलके
सारे नज़ारे

मुनिया की टोपी में
भर डाले चांदी के सिक्के
मुनिया के पास लेके आई
बगिया फूलों के गुलदस्ते.

सबकी धींगा मस्ती से
उदासी हुयी फुर्र फुर
सर सर कर हवा लहरायी
तितलियों ने फ़िर दौड़ लगायी

मुनिया भागी उनके पीछे
ऊपर नीचे आगे पीछे

मुनिया क्या मुस्कायी
बगिया में खुशियाँ छायी

Monday 21 July, 2008

बरसो मेघा


बरसो मेघा
बरसो मेघा
अब तो
बरसो भी मेघा
कितने दिन बीत गए
हमने आसमान में
धनक नही देखा।

बादलों को घिरते नही देखा
बिजली की चमक
को नही देखा ।
चिडियों को फुदकते नही देखा ।

बादल आओ
बादल आओ
गाँव में हमारे
घिर के आओ
गिरते जाओ
बरसते जाओ
बादल आओ
बादल आओ

खेत प्यासे प्यास से
दाना सूखे ज़मीन में
पेड़ देखे राह तुम्हारी
कुएं देखे बाट तुम्हारी

पत्तों को ताज़ा कर दो
कुंओ में पानी भर दो
दानों को तर कर दो ।

ऊँचा ऊँचा आसमान
देखना कितना अच्छा लगता,
बिन बादल ये सूना कितना लगता
बादल बन जाए इनमे
अब दिल यही कहता ।

तुम जो घिर के बरसोगे
पानी की नदियाँ बह निकलेगी
कागज़ की कस्तियाँ चल पड़ेगी
कीचड में हम दौडेंगे
छतरी अपनी खोलेंगे

हम बच्चों को
खेल मिलेंगे
इस ज़मी पे
फूल खिलेंगे

बच्चो के हाथ उठे दुआ में
बरस भी जाओ

खेलेंगे ,भीगेंगे
संग तुम्हारे
इतना कहा
तो मान जाओ ।

(उमरानाला और आस पास के इलाके में काफी दिनों से बारिश नही हुई हैबच्चो की नमाज़ इस्ताकसा (बारिश की प्रार्थना) को खुदा सुने आमीन ! आमीन!! आमीन!!!)

Sunday 20 July, 2008

आराधन साईं का


सच्चे मन से जो भी ध्याये
साईं की कृपा को पाये
जीवन के पालक साईं
इस युग के तारक साईं

कृपा सिंध महा पुंज
दाता साईं सुखदाई साईं
नमो साईं
नमो नमः जय साईं

अनंतकोटी ब्रह्माण्ड नायक साईं
नमो साईं
नमो नमः जय साईं

सदगुरु साईं का आराधन
साईं का पूजन, साईं का अर्चन
जीवन के पालक साईं
इस युग के तारक साईं

आत्मा का आलोक साईं
जीवन का प्रकाश साईं

शिर्डी धाम में जो भी आता
साईं की कृपा को पाता
नमो साईं
नमो नमः जय साईं

अंधियारे रौशन कर दे
उजियारे जीवन में भर दे
साईं कृपा का बादल बरसे
साईं कृपा से जीवन भीगे।।

नमो साईं
नमो नमः जय साईं

(अनंत कोटि ,ब्रम्हांड नायक ,राजाधिराज ,योगी राज ,प्रारम्भ ,
सच्चिदानन्द ,सदगुरु साईं नाथ महाराज के

चरणों में गुरु पर्व पर शत शत कोटिशः नमन)

Monday 14 July, 2008

साईं बाबा


जीवन तपती धूप
बदले इसके रंग रूप
जीवन को छांव मिल जाती
जीवन खिल जाता है
जो साईं की शरण में
आता है

मेरे मक्का और काबा
शिर्डी के साईं बाबा

पीर पीड़ा हरता है
पीर की किरपा से
जीवन संवरता है
पीड़ा को हरते
जीवन को सहज करते
साईं बाबा

पानी से दीप जल जाते है
जीवन सुमन खिल जाते है
बाबा की कृपा से होती
जीवन सुमन की वृष्टि
ऐसा कोई नही जिस पर
नही है बाबा की दया
की दृष्टि

रूह भी गाने लगती है
सांसे भी भजने लगती है
सांसों में लीन लीन
जीवन का एहसास
विश्वास
साईं
बाबा

Wednesday 2 July, 2008

स्कूल की याद


आज पहली जुलाई है
याद आई
बरबस ही स्कूल की याद
नए नए बस्ते में
नयी किताबों की खुशबू
नए रंग भरती
स्कूल की याद

बारिश से गीली मिटटी है
पैरों में लगता कीचड है
मिटटी की सौंधी खुशबू
लेके आई स्कूल की याद

पहले दिन स्कूल में
पढ़ाई नही होती
पहले दिन स्कूल में
लडाई नही होती

मिलते जुलते है
एक दूजे से सब
मिलजुलकर होती
स्कूल की सफाई

पहले दिन स्कूल में
ये भी नही पता होता
कौन कौन से टीचर
पढायेंगे पूरा साल

छुट्टीयों के बाद
स्कूल को देखना
लगता ऐसा
जैसे किसी बिछुडे
दोस्त को देखना

पहली जुलाई को स्कूल
में होती गर्मियों की
छुट्टी की बात

कोई अपने नाना -नानी से मिलके आया
कोई दादा- दादी के गाँव से घूम के आया
सबके पास होती है
छुट्टियों की बातें
ढेर सी बातें
बातों की सौगातें

पूरी छुट्टियों मौज मनाई
एक बूँद भी नही की पढाई

पढने में यूँ तो आई
कई कहानी
पूरे साल एक एक करके
जो है सुनानी

शहजादी की शादी है
राक्षस की डरावनी बाते है
शहजादों के महल भी इनमे
नेकी की सीख भी इनमें

छुट्टी में सीखा है
जाने कितना काम -धाम
कुछ चित्र बनाये है विचित्र से
वो भी तो स्कूल में है लाना
जिन शहरों में हम घूमें है
वो भी तो है बतलाना

उफ़ न जाने कितनी बाते है
सबके सब ध्यान में लाते

किताबों पर नया
कवर चढा है
गणित की किताब
देखने का मन नही करता
अच्छी लगती है
बाक़ी सारी किताब

जून की आखरी हफ्ता
इस इंतजार में गुजरता
कब खुलेगा स्कूल का
ताला ।

पहली जुलाई को ताला
खुल जाता है
साल भर के लिए
पढ़ाई का काम मिल जाता है

नए नए से कपडे मिलते
स्कूल की दीवारे भी
नई नई सी लगती है
अपनापन लगता है इनसे
इनसे बात भी होती है

हर कोने कुछ कहते है
साल भर इनके संग जो रहते है

स्कूल के मैदान में
हलचल होती है
स्कूल की घंटी कब
बजेगी बाते होती हैं

स्कूल की घंटी बजते ही
सब लग जाते
लाइन में
इस कक्षा से
उस कक्षा में
जाना
इस लाइन से
उस लाइन में
खडे हो जाना
अच्छा लगता है

कुछ दोस्त
वहीं रह जाते है
पुरानी कतार में
सब के साथ
स्कूल की प्रार्थना गाना

फिर अपनी नई कक्षा में
घुस जाना
मास्टरजी की
बैंत रखी है
डस्टर चाक़
किताब रजिस्टर
रखा है

ब्लैक बोर्ड
खुशी से चमक रहा है
काफी दिनों से
वो भी खाली
पड़ा था

मानो सबको
को था जैसे
एक दूसरे
का इंतज़ार

एक जुलाई क्या आई
हो गया शुरू
स्कूल का त्यौहार ।
मन को खुशी
देता स्कूल का त्यौहार