Thursday 1 January, 2009

जीवन है रौशनी


है पलक पर रौशनी , फलक पर चाँदनी
बाहें
खोल के देख ले ,जीवन है रौशनी

बदल ले ख़ुद को तू ,उड़ चल हवा के संग
तू
नदी की हिलोर , जीवन की तू रागनी

विश्वाश है तू , तू है आकाश
इस
फलक पर तू ,सूरज का उजास

तू हवा का झोंका है ,किसने तुझे रोका है
बढे जो कदम तेरे , कदमो में आकाश है

कोई नयी बात जगा ,कोई नया गीत बना
ख्वाबों
को सच बना ,ज़िन्दगी को जीत बना

नई
उमंग भर ले , नई सुबह कर ले
आज ख़ुद से ये वादा कर ले ,


(आप सभी को नव वर्ष की शुभकामनायें )

6 comments:

सुप्रिया said...

amitabhji ,
asha jagane vali bat kahi aapne .naye saal ki uttam shuruaat. mujhe ye pankitiyan behad achchi lagi

कोई नयी बात जगा ,कोई नया गीत बना
ख्वाबों को सच बना ,ज़िन्दगी को जीत बना


aapko bhi naye sal ki shubhkamnaye!!

vijay kumar sappatti said...

amotabh ji , bahut achai nazm hai .. specially ye lines bahut hi umeed jagati hui hai .

कोई नयी बात जगा ,कोई नया गीत बना
ख्वाबों को सच बना ,ज़िन्दगी को जीत बना

aako nav varsh ki badhai ..

maine bhi kuch naya likha hai .
aapka
vijay
poemsofvijay.blogspot.com

P.N. Subramanian said...

तू हवा का झोंका है ,किसने तुझे रोका है
बढे जो कदम तेरे , कदमो में आकाश है
आप की पंक्तियाँ आपके लिए ही पुनः समर्पित.. नव वर्ष आपके लिए और आपके परिवार के लिए ढेर सारी खुशियाँ लेकर आवे.

karmowala said...

नववर्ष की बधाई का ये नया अंदाज़ बहुत ही उम्दा लगा इस आपका संदेश सपष्ट रूप से मन पर अंकित होता है की पहचान कर अपनी शक्ति हर एक इंसान तोक्या नही होता आज भी जमी पर रोज़ एक ही सूरज है निकलता
धन्यवाद
सप्रेम

Vivek Gupta said...

बहुत सुंदर कविता | आपको नव वर्ष की बधाई |

श्रद्धा जैन said...

jivan mein naye rang bharti aur protshit karti ye panktiyan aaj sabhi ke liye bhaut zaruri hai

तू हवा का झोंका है ,किसने तुझे रोका है
बढे जो कदम तेरे , कदमो में आकाश है

कोई नयी बात जगा ,कोई नया गीत बना
ख्वाबों को सच बना ,ज़िन्दगी को जीत बना


Navvarsh ki bhaut subhkamanyen