Thursday 29 January, 2009

दुआ


देख लो सपना कोई
कोई
कहने लगा
जाने किसकी है ये दुआ
पिघला पिघला रहने लगा

फूलो के जैसा मौसम हुआ
रंग
कोई रूह में भरने लगा
जाने किसकी है ये दुआ
पिघला पिघला रहने लगा

तुम खुदा बनके छाने लगे
दिन
मेरे अब गाने लगे
आस्मां
दिल में समाने लगे
जाने किसकी है ये दुआ
पिघला पिघला रहने लगा

झरने के जैसा बहता है मन
जाने
कौन बांधे है मन
रुत ये हसीं बनके उड़ने लगी
सोई
सोई आंखे जागने लगी

आँखों में कोई समाने लगा
खुदा भी नज़र आता लगा
जाने किसकी है ये दुआ
पिघला पिघला रहने लगा

1 comment:

Amit K Sagar said...

bahut khoob geet likha bhai ji