सितारों की चादर पर पैरों को पसार के देखा
शब का नूर उसकी आँखों में देखा
वो गुमशुदा सी रातें कल की बात थी
आज रात भी देखी ,सुबह को भी देखा
उसका नज़र आ जाना ही काफी है
उसके बारे में ही बस सोच के देखा
आज जब इनायत हो ही गई है तो ,
कुछ देर ख़ुद को ख़ुदा सोचके देखा
शब का नूर उसकी आँखों में देखा
वो गुमशुदा सी रातें कल की बात थी
आज रात भी देखी ,सुबह को भी देखा
उसका नज़र आ जाना ही काफी है
उसके बारे में ही बस सोच के देखा
आज जब इनायत हो ही गई है तो ,
कुछ देर ख़ुद को ख़ुदा सोचके देखा
4 comments:
बहोत खूब लिखा है आपने .....
ख़ुद को खुदा सोच के देखा
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ये ख्याल ही अपने अपने आप में बहुत बड़ी बात है
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उम्दा
luv u brother
amit k sagar
आपके ब्लॉग पर बड़ी खूबसूरती से विचार व्यक्त किये गए हैं, पढ़कर आनंद का अनुभव हुआ. कभी मेरे शब्द-सृजन (www.kkyadav.blogspot.com)पर भी झाँकें !!
नववर्ष की बधाई का ये नया अंदाज़ बहुत ही उम्दा लगा इस आपका संदेश सपष्ट रूप से मन पर अंकित होता है की पहचान कर अपनी शक्ति हर एक इंसान तोक्या नही होता आज भी जमी पर रोज़ एक ही सूरज है निकलता
धन्यवाद
सप्रेम
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