नीला नीला चाँद दिखा
कल ख्वाब में
नीली नीली धूप उडी
कल ख्वाब में
चाँद डूबता उतरता
रहा नदी में ख्वाब में
चाँद का झूला गिरा
झुका ख्वाब में
नीले चाँद से नज़र
हटी नही कल ख्वाब में
नींदों से जगाने के बाद भी
नज़र में रहा नीला चाँद ही
सरे रात जो ख्वाब चलता रहा
वो ख्वाब दिन में भी दिखा
लबों पे मेरे नीला रंग चढा
नीला चाँद साँझ में
फिर आएगा
नीला चाँद फिर मुझे
ख्वाबों में मिल जाएगा
नीली नीली हसी
उसकी मिलती रहे
मुझको ख्वाब में
कल ख्वाब में
नीली नीली धूप उडी
कल ख्वाब में
चाँद डूबता उतरता
रहा नदी में ख्वाब में
चाँद का झूला गिरा
झुका ख्वाब में
नीले चाँद से नज़र
हटी नही कल ख्वाब में
नींदों से जगाने के बाद भी
नज़र में रहा नीला चाँद ही
सरे रात जो ख्वाब चलता रहा
वो ख्वाब दिन में भी दिखा
लबों पे मेरे नीला रंग चढा
नीला चाँद साँझ में
फिर आएगा
नीला चाँद फिर मुझे
ख्वाबों में मिल जाएगा
नीली नीली हसी
उसकी मिलती रहे
मुझको ख्वाब में
4 comments:
आपका ब्लाग सुंदर लगा हां लेखन पर ध्यान देने की जरूरत है थोडा
चाँद डूबता उतरता
रहा नदी में ख्वाब में
चाँद का झूला गिरा
झुका ख्वाब में
आपकी जानिब में आ कर हमेशा कुछ न कुछ नया मिल जाता है .अमिताभ जी यही आपकी खूबी है .
नीले चाँद से नज़र
हटी नही कल ख्वाब में
नींदों से जगाने के बाद भी
नज़र में रहा नीला चाँद ही
सरे रात जो ख्वाब चलता रहा
वो ख्वाब दिन में भी दिखा
लबों पे मेरे नीला रंग चढा
आपकी कविता में ये पंक्तियाँ कमाल की है .. आज चाँद नीला हो गया ..पहले नीला न था ..सुन्दरतम नीला चाँद !!आभार हम सभी को नीला चाँद देने के लिए
good poem and beautiful description.
nice poem
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