Thursday, 21 August 2008

नीला चाँद


नीला नीला चाँद दिखा
कल ख्वाब में
नीली नीली धूप उडी
कल ख्वाब में

चाँद डूबता उतरता
रहा नदी में ख्वाब में
चाँद का झूला गिरा
झुका ख्वाब में

नीले चाँद से नज़र
हटी नही कल ख्वाब में
नींदों से जगाने के बाद भी
नज़र में रहा नीला चाँद ही

सरे रात जो ख्वाब चलता रहा
वो ख्वाब दिन में भी दिखा
लबों पे मेरे नीला रंग चढा

नीला चाँद साँझ में
फिर आएगा
नीला चाँद फिर मुझे
ख्वाबों में मिल जाएगा

नीली नीली हसी
उसकी मिलती रहे
मुझको ख्वाब में

4 comments:

Anonymous said...

आपका ब्‍लाग सुंदर लगा हां लेखन पर ध्‍यान देने की जरूरत है थोडा

सुप्रिया said...

चाँद डूबता उतरता
रहा नदी में ख्वाब में
चाँद का झूला गिरा
झुका ख्वाब में
आपकी जानिब में आ कर हमेशा कुछ न कुछ नया मिल जाता है .अमिताभ जी यही आपकी खूबी है .
नीले चाँद से नज़र
हटी नही कल ख्वाब में
नींदों से जगाने के बाद भी
नज़र में रहा नीला चाँद ही

सरे रात जो ख्वाब चलता रहा
वो ख्वाब दिन में भी दिखा
लबों पे मेरे नीला रंग चढा
आपकी कविता में ये पंक्तियाँ कमाल की है .. आज चाँद नीला हो गया ..पहले नीला न था ..सुन्दरतम नीला चाँद !!आभार हम सभी को नीला चाँद देने के लिए

मेनका said...

good poem and beautiful description.

protestant said...

nice poem