Thursday 18 September, 2008

मुन्नी की निंदिया


मुन्नी की निंदिया
जादू की पुडिया
सिरहाने पर ख्वाब है
झरोकें पर चाँद है
बिझौना ये नींद का लाजवाब है
रातों में रंगों से भरे
मुन्नी के सलोने से ख्वाब हैं
नीदों में परियां आएगी
जब मुन्नी सो जायेगी
मीठी सी पोपिंस की गोली
मुन्नी को देके जाएँगी
गालो में मुन्नी के चुम्मा दे दो
गुलाबी सी नींदों में मुन्नी सो जायेगी
चाँद से रसगुल्ला टपकेगा
मुन्नी की नींदों में
खुशियों का पिटारा निकलेगा
मुन्नी की लोरी दादी ने गायी
तारों सितारों की झालर बनायी

3 comments:

मेनका said...

achha likha hai aapne.

रश्मि प्रभा... said...

haye munni ki nindiyaa aur aapki pyaari panktiyaan......munni ki tarah meri aankhon me bhi sapne bhar gaye,bahut pyaari natkhat,chulbuli rachna.........

सागर नाहर said...

बहुत सुन्दर लोरी..
धन्यवाद।