Tuesday, 23 September 2008

खुदा आराम फरमा


खुदा कुछ के देर के लिए मेरे पास बैठ जा
थक गया होगा तू
दुनिया को चलाते कुछ देर आराम से सुस्ता जा .
तुझको चाहे कितने भी दे दे हम ताने
हम अक्सर भूल जाते है
थक तो जाता होगा तू भी
हम क्यूँ नही समझ पाते है
खुदा चल आराम फरमा
कुछ देर के लिए तू भी
दुनिया को भूल जा
दुनिया बनाई तूने जिस दिन से उस दिन से
ही काम से जुता है
आख़िर सोचता हूँ मैं सिर्फ़ नाम लेने जपने भजने से ही
तुझको क्या मिल जाता है
इतने सारे काम की खुदा तू तनख्वा बहुत कम पाता है
हम भी कैसे एहसान फरामोश इतना भी समझ नही पाते
तेरी रहमत पर जाने क्यों सवाल उठाते
खुदा तेरे नाम पर खीर का भोग जो हमने रखा
आज पूछना है तुझसे क्या तूने कभी उसे चखा
खुदा सच कहता हूँ तुझे भी आराम मिलना चाहिए
कम से कम हफ्ते में इक रोज़ तुझे भी
छुट्टी ले लेना चाहिए
खुदा थोड़ा आराम कर ले
ख़ुद को तरोताजा कर ले

2 comments:

makrand said...

i think u could edit it more better way
but good sense
regards

परमजीत सिहँ बाली said...

खुदा आप की बात जरूर सुनेगा।एसी आशा है:)