Sunday 28 September, 2008

सौ शक्ल चाँद की


सौ शक्ल चाँद की
चाँद चेहरा बदलता है
रात आसमान में
चाँद का रौब ही चलता है
माना नूर चाँद आफ़ताब का दिया हुआ
चाँद कहे इस बात पे उसको शुक्रिया
पर ये भी सच कि आसमान में हूर तो चाँद है
उसके हुस्न जलवों पे सब निसार है
सैंकडों खूबी चाँद की
चलती रूकती रात चाँद की
एक तारा रोज़ आसमान में चाँद की ओर बढ़ता है
चाँद को चूमने की हसरत लिए रोज़ घर से निकलता है
चाँद उसे आगोश में लेने
आधे से भी आधा हो जाएगा
चाँद के हुस्न को वो तारा ही बढ़ाएगा
जैसे सफ़ेद काजल का टीका
चाँद को दुनिया की नजर से बचायेगा ?
जब तारा चाँद को चूमेगा
ईद की खुशी में ये आलम झूमेगा
चाँद!!
तुम बहुत प्यारे हो
इसलिए भी तुम दोस्त हमारे हो

1 comment:

सुप्रिया said...

एक अलग मिजाज़ की कविता ,बेहतरीन !!
चाँद के हुस्न को वो तारा ही बढ़ाएगा
जैसे सफ़ेद काजल का टीका
चाँद को दुनिया की नजर से बचायेगा ?
जब तारा चाँद को चूमेगा
ईद की खुशी में ये आलम झूमेगा
पंक्तियाँ सभी सुंदर बन पड़ी हैं
सौ शक्ल चाँद की
चाँद चेहरा बदलता है
रात आसमान में
चाँद का रौब ही चलता है
ये बात भी खूब कही !!
आप को दुर्गा पूजा और ईद की शुभकामनायें