Tuesday, 14 October 2008

धुआं उड़ने दो


दिल से मिलकर आया
दिल में घर करके आया
रूह से धुलकर आया
रंग हवा हो जाने दो
धुआं धुआं धुआं
धुआं उड़ने दो

लबो को इसने चूमा है
बादलों के बीच ये घूमा है
तस्सली इतनी की तस्लीम
चाँद की करता
धुएँ का छल्ला
नखरैल बिल्लो को
भाता नही धुएँ का छल्ला
नाक पर धर लेती है
अपना पल्ला

काश ! कि धुआं इतनी दूर तक जाए
कभी खुदा से मिलकर आए

थोड़ा ज़र्दा थोड़ा परदा
धुआं उड़ा चला बनके
चांदी का छल्ला

इस धुएँ को उड़ने दो
कश से कशमकश ज़िन्दगी की
मिटने दो
दुआ दुआ
धुआं धुआं उड़ने दो
(***वैधानिक चेतावनी: सिगरेट पीना स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक है )

1 comment:

Unknown said...

ABKI BAR DUBEYJI MAZZA AAYA....YEH POST MERI PASANDIDA H SIR...KASH SE ZINDAGI KI KASHMAKASH MITANE DOH......BAHUT BADIYA.....BAS CHAND KA ISTAMALE KUCH ZYADA HO GAYA