Wednesday, 22 October 2008

परिंदे


सुबह के गवैये परिंदे
बिन साजों के ये साजिन्दे
इनकी सरगम सुबह सवारे
सुन परिंदे क्या गाते है
कहीं दूर बैठे अपने आशिक को
क्या ये बुलाते हैं ?

आसमान दिया खुदा ने परिंदों
को उड़ने के वास्ते
ये उडे आसमान में हम देखे इनके नज़ारे
परिंदे कतार में उड़के जाने कहाँ जाते हैं
अपने घोसलों से दूर कहाँ ये उड़ने जाते हैं ?

परवाज़ हौसला देती है
परवाज़ देती ये फलसफा
कोई भी मुश्किल आए मत छोड़ना
अपने पंख पसारना
मत छोड़ना उड़ना

सैय्याद सोचता है परिंदों को क़ैद कर
वो उनका हौसला तोड़ सकता है
पिजर में भी आके परवाज़ आसमान देखना
नही छोड़ता है

1 comment:

Vivek Gupta said...

अत्यन्त सुंदर |