Thursday, 30 October 2008

सूरज लाया हूँ


इन अंधेरों को अलविदा कह दे
तुझे देने सूरज लाया हूँ


खत्म होता होगा अर्श भी कहीं
फर्श को अर्श का मकां देने आया हूँ


जलवों के जलसे लिए
रोशनाई की कतार लाया हूँ

बेफिक्र हो जा आज कि मैं
सीधे खुदा से मिलके आया हूँ


(आप सभी सुधि पाठकों को दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनायें
दीपो का यह पर्व आपके जीवन में सुख समृद्धि शान्ति और उल्लास
का प्रकाश लाये .....
शुभकामनायें
आपका ही
अमिताभ )

2 comments:

Amit K Sagar said...

वाह! माशाअल्ल्लाह-सुहानअल्ल्लाह

Anonymous said...

Hola:

http://blog.iespana.es/jfmmzorita

UN SALUDO DESDE ESPAÑA.