दुनिया की मिसाले लिखो
पहले खुदा का फिर बंदो का नाम लिखो
सिर्फ़ अच्छा सोचना ही नही काफी
दुनिया मे अच्छा भी दिखो
सलीके सीख लो इस शहर के
इस शहर मे थोड़ा शहरी भी लगो
मिजाज़ बदलते वक़्त नही लगता
दो क़दम वक़्त से आगे भी चलो
सोचो मत की कल क्या होगा
जीने के वास्ते थोड़ा बेफिक्र भी बनो
राह मे चलते मंजिल मिल जायेगी
बस मंजिल की तरफ़ चलो
ज़माना तुम्हारी परवाह करे ना करे
तुम मगर ज़माने की परवाह ज़रूर करो
पैमाइश की हसरत रखे दिल मे
ख़ुद को तौलते चलो
बेज़ुबान बनके कुछ हासिल नही होगा
कुछ पाने के लिए थोड़ा हल्ला भी करो
ये शहर है साये से भी भागता है
इस शहर मे साया छोडके चलो
आसमान की तरफ़ हो निगाहे बेशक
कभी कभी ज़मी को भी देखते चलो
अपने काम से रखो वास्ता
दूसरो के काम मे भी थोड़ा दखल रखो
वजूद का क्या है बन ही जाएगा
ख़ुद पे यकी और एतबार करो
सावन की बारिश मे भीगने की हसरत ही नही
भीगने के वास्ते आंखो मे थोडी सी नमी रखो .
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