Friday, 7 March 2008

वक़्त से आगे भी चलो

दुनिया की मिसाले लिखो
पहले खुदा का फिर बंदो का नाम लिखो

सिर्फ़ अच्छा सोचना ही नही काफी
दुनिया मे अच्छा भी दिखो

सलीके सीख लो इस शहर के
इस शहर मे थोड़ा शहरी भी लगो

मिजाज़ बदलते वक़्त नही लगता
दो क़दम वक़्त से आगे भी चलो

सोचो मत की कल क्या होगा
जीने के वास्ते थोड़ा बेफिक्र भी बनो

राह मे चलते मंजिल मिल जायेगी
बस मंजिल की तरफ़ चलो

ज़माना तुम्हारी परवाह करे ना करे
तुम मगर ज़माने की परवाह ज़रूर करो

पैमाइश की हसरत रखे दिल मे
ख़ुद को तौलते चलो

बेज़ुबान बनके कुछ हासिल नही होगा
कुछ पाने के लिए थोड़ा हल्ला भी करो

ये शहर है साये से भी भागता है
इस शहर मे साया छोडके चलो

आसमान की तरफ़ हो निगाहे बेशक
कभी कभी ज़मी को भी देखते चलो

अपने काम से रखो वास्ता
दूसरो के काम मे भी थोड़ा दखल रखो

वजूद का क्या है बन ही जाएगा
ख़ुद पे यकी और एतबार करो

सावन की बारिश मे भीगने की हसरत ही नही
भीगने के वास्ते आंखो मे थोडी सी नमी रखो .

No comments: