Saturday, 8 November 2008

सांस सांस जीवन


सांस सांस जीवन है
उलझी सांसो को सुलझा लो
अपनी सांसो को साध के
जीवन को महका लो

सांस सांस महकेगा जीवन
जीवन बन जाएगा वंदन
जीवन का प्राण है सांसे
सांसो को हम थामे

सांस सांस सितार बजा ले
सांस सांस बजा ले मुरली
सांसो से सुमिरन कर ले
सासों से मना ले भगवन

सांसो को चलो हम साधे
जीवन को सहज बना ले
सांस है सहज सरल
जीवन को कर ले निर्मल

सांसो के इस आराधन में
जीवन को कीर्तन कर ले
सांसो के लिए चलो हम
ख़ुद का समपर्ण कर ले

सांस सांस सुदर्शन हो जाएँ
बनके मीरा मोहन हो जाएँ
एक लय दे दे जीवन को
जीवन को सुरीला कर ले

(आर्ट ऑफ़ लिविंग में श्री श्री रविशंकर "महाराज जी " सांसो को साधने की बात कहते हैहम सबके जीवन का आधार सांसे ही हैंऔर हम सभी सांसो की ही उपेक्षा करते हैं । सुदर्शन क्रिया सांसो में ताजगी भरने का काम करती हैजीवन को सहज और सरल कर देती हैसांसो को साध कर हम जीवन को साध सकते हैजीवन को गुलशन कर सकते हैंयही सुदर्शन है ..यही जीवन है )

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