Friday, 14 November 2008

बच्चे बन जाए


खुदा भी खुश हो जाएगा
वो भी बच्चा बन जाएगा
सारा आलम गुनगुनाएगा
चलो फ़िर से बच्चे बन जाए
चलो फ़िर सच्चे हो जाए

बचपन की गलियों में घूमें
दादी नानी की कहानियो में झूमे
माँ की लोरी पापा की सीख
बचपन ही हम सबका मीत

भैया की डांट भी इसमें
बहना का प्यार भी इसमें
बचपन तो गीतों जैसा
दादा दादी नाना नानी
मामा मामी चाचा चाची
के दुलार जैसा ।

न रुपया न पैसा है
फ़िर भी बचपन अनमोल खजाना
जब भी दिल हो जाए भारी
बचपन की गलियों में आजाना

गुनगुनाना मुस्कुराना
बच्चा बन के खुशिया लुटाना

पानी के तालाब में तैरें
परियों के देश में टहले
घूम ले दुनिया दो पल में
जन्नत का नज़ारा कर आयें
चलो फ़िर से बच्चे बन जायें
चलो फ़िर सच्चे हो जाए ।

खिलखिला ले मुस्कुरा लें
बचपन के ये पल फ़िर से बिता ले
ताजी ताजी यादों को जी ले
बचपन की मीठी बेर चख ले

कोई खिलौना जो हो सलोना
फ़िर से बाज़ार से ले ले
आओ रेत से कुछ घर बना ले
रेत के पुल पर गाड़ी चला ले

खेल तमाशे कुछ कर ले
बचपन को मिलके जी लें


चलो बाग़ में तितली पकड़े
चलो कागज़ की कश्ती खेले
चलो हवा ही बन जाए
हवाओं के महल बनायें

बचपन तो एक जश्न है
इसे कभी भी मनाते जायें
कोई सबब न ढूंढे हम
बस बच्चे हो जाए

आओ खुदा को चलो
बनके बच्चा हम मनाये
(आप सभी को बाल दिवस की शुभकामनायें ..)

2 comments:

Amit K Sagar said...

हमेशा की तरह एक और बेहद उम्दा रचना के साथ-साथ आपको जन्म-दिन की ढेरों शुभकामनायें. जन्म-दिन मुबारक हो बिग बी.
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लव यू.
अमित के. सागर

संगीता-जीवन सफ़र said...

बचपन तो एक जश्न है
इसे कभी भी मनाते जायें
कोई सबब न ढूंढे हम
बस बच्चे हो जाए
बहुत सुंदर रचना कौन नही चाहेगा भला वो भोला-भाला बचपन/