Wednesday, 19 November 2008

नई भोर

सुस्वागतम श्री श्री "गुरूजी"

"श्री श्री रविशंकर ब्रहम नाद व् प्राणायाम ध्यान शिविर के लिए कल २० नवम्बर से २१ नवम्बर के लिए नॉएडा (दिल्ली ) में रहे हैएक बुद्ध पुरूष की आमद का असर फिजाओं में भी हो जाता हैउसकी आमद का संदेश वादियों में बहने लगता हैप्रकृति जैसे गाने लगती हैसारा आलम ही जैसे महकने लगता हैगुरूजी का यह कार्यक्रम नॉएडा सेक्टर ३२ में हैइसमें एक हज़ार सितार वादक ब्रहम ध्वनी का नाद करेंगेअहा! मन अभी से सितार की तरह झंकृत हो रहा हैश्री श्री के शुभागमन का असर मैंने भोर में भी महसूस किया गुरूजी के श्री चरणों में अहोभाव से "नई भोर " अर्पित है ...."
जय गुरुदेव !!





ये नई भोर बहारों की है
उम्मीद
भरे नज़ारों की है

नई सोच को दिल में पाले हुए
दिलदार
समझदारों की है

एक
नई लहर को मैंने देखा आस्मां में अभी
फलक
पर मौज ये सितारों की है

नई दुनिया को बनाने निकले घर से
दुनिया
नयी ये नये विचारों की है

बदल दे अब हालात समंदर के हम
हौसलों
से भरी ये बात पतवारों की है

कोई ज़ज्बा मेरे ज़र्रे से निकला अभी
सूरज में अब रौशनी मेरे अंगारों की है

2 comments:

P.N. Subramanian said...

"आ बदल दे अब हालात समंदर के हम
हौसलों से भरी ये बात पतवारों की है"
Beautiful poetry. Very many thanks.
http://mallar.wordpress.com

रश्मि प्रभा... said...

आ बदल दे अब हालात समंदर के हम
हौसलों से भरी ये बात पतवारों की है......

jab maksad ho khushgawaar
to aayegi har bahaar,
bahut sundar