मैं चाहूँगा अब ये दर्द
हम में से कोई भी न भूले
तबाही की काली रात का मंज़र
हमारे दिलो में अब जिंदा रहे
एक आग बनकर
एक तड़प एक टीस
दिलों में जिंदा रहे
हम न भूले
हम न भूले
हम में से कोई भी न भूले
तबाही की काली रात का मंज़र
हमारे दिलो में अब जिंदा रहे
एक आग बनकर
एक तड़प एक टीस
दिलों में जिंदा रहे
हम न भूले
हम न भूले
हमें इस दर्द से ही अब
धधकते अंगारे सीने में जलाने होंगे
सीने में आग जले
मैं चाहूँगा अब ये दर्द
हम में से कोई भी न भूले
कोई सांत्वना नही
कोई दिलासा नही
घावों पर कोई अब
धधकते अंगारे सीने में जलाने होंगे
सीने में आग जले
मैं चाहूँगा अब ये दर्द
हम में से कोई भी न भूले
कोई सांत्वना नही
कोई दिलासा नही
घावों पर कोई अब
मरहम भी नही
मैं आँखे खोल के रखना चाहता हूँ
इस दर्द इन घावों से
मैं आँखे खोल के रखना चाहता हूँ
इस दर्द इन घावों से
आँख मिलाना चाहता हूँ
मुझे अब मायूसी में
मुझे अब मायूसी में
मातम नही करना है
मुझे अब शोक में
मुझे अब शोक में
मोमबत्तियों भी नही जलानी
मैं तो आग लगाना चाहता हूँ
अब इस वहशत का अंत चाहता हूँ
सीने में अब ये आग जलती रहे
पीड़ा ये सुलगती रहे
घाव हमें दिखते रहे
मैं तो आग लगाना चाहता हूँ
अब इस वहशत का अंत चाहता हूँ
सीने में अब ये आग जलती रहे
पीड़ा ये सुलगती रहे
घाव हमें दिखते रहे
ये दर्द अब हौसला बने
ये दर्द अब फ़ैसला बने
इस दर्द से आँख मिलाये हम सभी
इस दर्द को हम न भूले अब कभी
इस दर्द को बना ले
अपनी ताक़त हम सभी !!
(चित्र : बी बी सी डॉट कॉम )
1 comment:
being an indian and mumbikar . it's a expression of my feeling.
very nice post.
ये दर्द अब हौसला बने
ये दर्द अब फ़ैसला बने
well said amitabh
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