Friday 12 December, 2008

मायूसी मुंबई की


कहाँ तो तय किया था
मुंबई
का जख्म नही भूलना है
मायूसी मुंबई की लगता है
हम सबने भुला दी
बीते दिनों ...
सियासत
की गोद में जाकर
हम
लोगो ने ही
सियासी
जीत का जश्न मनाया
जिस सियासत पर उबला था
हमारा
गुस्सा
वो
सियासत के कदमों तले
बिछाते फूल नज़र आया
माफ़
करना मुंबई के दर्द
हम
तुझे भूल गए
सियासी
जश्नों जुलूसों के शोर में
पीड़ा की कराहे आहे दब गई
हम
क्या इतने भाव हीन हैं
क्या
हम इतने भाव शून्य हैं
मुंबई
तेरी मायूसी मुंबई तेरा दर्द
लगता
है हमें अब बाट रहा है
तेरे
नाम पर अब जात मजहब
का
तमाशा भी चल रहा है
कोई माकूल हल अभी नही
इस
बेबसी का हमारे पास
तेरे
दर्द से बड़ा हो गया है
वोट
बैंक का सवाल
दर्द तेरा अब
सियासी
तमाशा है
यही
इस दर्द की भाषा है
मुंबई
तेरा दर्द सियासत
अपने
अपने नज़रिए से देख रही है
तेरे
दर्द की परवाह किसे
सियासत
तेरे नाम पर
सियासी की रोटियां सेंक रही है
मुंबई तेरा दर्द चुनावी मुद्दा है
इतना ही इस दर्द का माद्दा है
हम
बट गए हमें भरमा दिया है
जो नही बटे है वो भी बट जायेंगे
वक्त
अभी भी है हम माकूल जवाब दे
दहशत की फसल को जड़ से ही उखाड़ दे
मुंबई तेरी मायूसी
मेरी दुआ है
अब
सियासत बने
कभी
तो जागे हम
सबका
ईमान
कभी
तो जागे
हम
सबका इन्सान

(मुंबई में हमले के बाद सियासत अपना चेहरा छिपाते नज़र आईलोगो का गुस्सा फूटालेकिन ये तो अतीत की बात हैपाँच राज्यों के विधानसभा नतीजे आने के बाद हमारे नेताओं और हमारी आवाम ने जीत का जश्न बेशर्मी से सडको पर जुलुस निलकर मनायामुंबई की मायूसी जीत हार का चुनावी गणित बन गईकाश ! हमारे नेता और हम चुनाव के नतीजे आने के बाद मुंबई की मायूसी से ख़ुद को जोड़ते हुए "शान्ति मार्च " निकालतेएक नई पहल करते !!!)

****अभी अभी हमारे प्रधानमंत्री ने दहशत गर्दो के खिलाफ कड़ी कार्रवाही का ऐलान किया है .

1 comment:

परमजीत सिहँ बाली said...

सही लिखा है। लेकिन यही भारत का दुर्भाग्य है कि यह हर चोट को भूल जाता है।भगवान ना करे कि यह सब भी ठंठे बस्ते मे चला जाए।