Sunday 14 December, 2008

आज जन्म दिन पर पुण्या के लिए


आज मेरा जन्म दिन है १४ दिसम्बर ... पिछली २३ नवम्बर को हमारे घर में नन्ही पुण्या (तनु की बहन मेरी भतीजी) की आमद हुईख्वाबों का घोड़ा एक लम्बी रचना है जिसे में काफी दिनों से लिख रहा हूँख्वाबो के घोडे की कुछ पंक्तियाँ पुण्या की आमद और आज अपने जन्म दिन पर मैं पुण्या और सभी बच्चों तनु परी जय रान्या जय (द्वितीय) वीरू गोल बुआ, मानव रूपल श्रेणु करण , हर्ष स्वराज आदि सभी को नज़र कर रहा हूँ

परियों के देश से पकड़ा
हट्टा कट्टा और तगड़ा
ख्वाबो का एक घोड़ा
चलता
नही है उड़ता है
ख्वाबो
का घोड़ा

जादू जाने करतब जाने थोड़ा
इसकी
लगाम रेशमवाली
जादू
वाला घोड़ा
ख्वाबों
का घोड़ा

सफ़ेद ऐसा दूध जैसा
इस
की दुम पर रुपया पैसा
तारों
की अचकन बांधे
पहने कुरता और पैजामा
ख्वाबों
का घोड़ा

आस्मां लगता है थोड़ा
जब
दौडे ख्वाबों का घोड़ा
सातों
आस्मां दौड़ लगाये
दूर
दूर की सैर कराये
ख्वाबों
का घोड़ा

चाबुक नही चलाना इस पे
नही मारना कोडा
दुम
उठा के भागे सबके आगे
ख्वाबों
का घोड़ा

चढ़े
चढाई अढाई सौ कोस
पैरों पर जम जाए ओस
कोस
कोस उड़ता ही जाए
ख्वाबों
का घोड़ा

परियां
बैठे इस घोडे पर
बैठे
सारे बच्चे
सबको
लेकर खूब घुमाये
दुनिया
भर की सैर कराये
ख्वाबों
का घोड़ा

खतरे
इसके खेल हो जैसे
नही
डरे ऐसे या वैसे
पैरों
इसके पंख लगे हैं
उड़नखटोला
ख्वाबों का घोड़ा

आस्मां की घांस चबाये
काजू पिस्ता बादाम मिलाये
चाँद
के दूध से कुल्फी जमाये
चुस्की लेता पीता सोडा
ख्वाबों का घोड़ा

गोरे गोरे गालों पे इसके
दे दो गुलाबी बोसा
खुश
हो जाता इतने में ही
हिन्
हिनाता ख्वाबों का घोड़ा

जुबा जाने हिन्दी अरबी उर्दू
फारसी
अंग्रेजी थोड़ा
जुमले बोले हिन् हिन् कर
भुन्ना सा ख्वाबों का घोड़ा

गुलज़ार ** ने लकड़ी से तराशा
आस्मां
पे हमने पहुँचाया
उड़ना
इसने सीखा हमसे
पुण्या का अलबेला घोड़ा
ख्वाबों
का घोड़ा

आस्मां लगता है थोड़ा
जब दौडे ख्वाबों का घोड़ा
सातों
आस्मां दौड़ लगाये
दूर
दूर की सैर कराये
ख्वाबों
का घोड़ा

"***गुलज़ार सहाब ने लकड़ी की काठी पर हमें बचपन में घोड़ा दिया ..वो घोड़ा अब आस्मां पर उड़ रहा है ...पुण्या नन्हे मुन्नों के साथ इस घोडे पर उडो आस्मां की सैर करो ..."

4 comments:

Unknown said...

आस्मां लगता है थोड़ा
जब दौडे ख्वाबों का घोड़ा
सातों आस्मां दौड़ लगाये
दूर दूर की सैर कराये
ख्वाबों का घोड़ा

wah sir mazza aa gaya
bachpan m pauncha diya
bahut aachi kavita
sabhi baccho ko yeh kavita mubarak ho

karmowala said...

बहुत खूब लिखा अमिताभ जी वास्तव मे आप बच्चो के चाचा बन गए हो आपका बच्चो के लिए लेखन काफी प्रभावशाली लगता है केवल एक अनुरोध है की बच्चो की रचना इस कदर लम्बी न हो की वो उनकी जुबान पर चढ़ न पाए
और इस तरह की रचनाओ की आजकल काफी कमी भी लगती है आजकल तो विद्यालयों मे भी कुछ मुश्किल कविता ही बच्चो को मिल रही है

रंजू भाटिया said...

आस्मां लगता है थोड़ा
जब दौडे ख्वाबों का घोड़ा
सातों आस्मां दौड़ लगाये
दूर दूर की सैर कराये
ख्वाबों का घोड़ा

बहुत सुंदर लगी यह बाल रचना ..बेहद प्यारी

Amit K Sagar said...

ख्वाबों का घोडा बहुत ही उम्दा रचना. चलो जन्म-दिन की पार्टी के बाद हम भी ख़्वाबों का घोडा निकालें...दौडाने के लिए.
---
लव यू ब्रोदर