सर्द रातों में कोहरे का राज़ है
नीली रातो का चाँद थोड़ा उदास है
कोहरे की चादर में उसे
ज़मी नही दिखती
ज़मी को देखे बिना
उसकी सांसे नही चलती
चाँद ....
कुछ उदास है
सर्द रातों में कोहरे का
राज़ है ।
सर्द राते ...
चाँद को भी लगती सर्दी
चाँद ने ओढ़ लिया
बादलों का लिहाफ
सर्दी ....
फ़िर भी जाती नही
चाँद के पास रातो में
सूरज धर दो
हथेली ....
रगड़ दो चाँद की
थोडी गर्मी आ जाए
नर्म गुलाबी धूप
में बैठालो चाँद को भी
अपने पास
ये राज़ ही है
चाँद कभी सोता नही
इस बात के लिए
कभी चाँद रोता भी नही
ज़मी ...
कुछ देर तू ही ज़रा
पिघल जा
चाँद के लिए
कोहरों से बाहर तू ही
निकल जा
चाँद
तन्हा रातो में घूमे है
तेरी दीद को तरसे है
नीली रातो का चाँद थोड़ा उदास है
कोहरे की चादर में उसे
ज़मी नही दिखती
ज़मी को देखे बिना
उसकी सांसे नही चलती
चाँद ....
कुछ उदास है
सर्द रातों में कोहरे का
राज़ है ।
सर्द राते ...
चाँद को भी लगती सर्दी
चाँद ने ओढ़ लिया
बादलों का लिहाफ
सर्दी ....
फ़िर भी जाती नही
चाँद के पास रातो में
सूरज धर दो
हथेली ....
रगड़ दो चाँद की
थोडी गर्मी आ जाए
नर्म गुलाबी धूप
में बैठालो चाँद को भी
अपने पास
ये राज़ ही है
चाँद कभी सोता नही
इस बात के लिए
कभी चाँद रोता भी नही
ज़मी ...
कुछ देर तू ही ज़रा
पिघल जा
चाँद के लिए
कोहरों से बाहर तू ही
निकल जा
चाँद
तन्हा रातो में घूमे है
तेरी दीद को तरसे है
3 comments:
बहुत संवेदनशील रचना है
---
चाँद, बादल और शाम
http://prajapativinay.blogspot.com/
चाँद ....
कुछ उदास है
सर्द रातों में कोहरे का
राज़ है ।
बहुत खूब लिखा आपने
हथेली ....
रगड़ दो चाँद की
थोडी गर्मी आ जाए
नर्म गुलाबी धूप
में बैठालो चाँद को भी
अपने पास
chaand ko aise kabhi nahin soncha tha maine..aapne to use dhoop mein baitha diya..bahut achhe..
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