Thursday, 30 July 2009

बरसो चांद !!!


एक बादल
उड़ता हुआ
किसी परबत
पर जा रहा था
मैंने पूछा
ज़ल्दी में
लगते हो दोस्त !
उसने कहा
हाँ !!
मुझे दिन ढलने
से पहले उस
परबत पर जाना है।
वो कई दिनों से
मेरे इतंजार में है ।
आज मैं
उसे तल्सीन
करना चाहता हूँ
उसको भिगो देना
चाहता हूँ ।
मैं भी तुम्हारे
बरसने का
इंतजार कर
रहा हूँ ।
कभी तुम भी आओ
खुलके बरसो
चाँद !!!
इस सावन को
तल्सीन कर दो

Friday, 19 June 2009

एलिक्ज़र ऑफ़ लाइफ


मैं
रोज़ रात में
चांद के घोडे
चुराता हूँ
और दिन में
चांद के
घोडे बेच के
सो जाता हूँ
सोचता हूँ
यदि ये बात
कभी चांद को
पता चल गयी कि
रातो में उसके घोडे
मैं चुराता हूँ
तो मेरा हश्र
क्या होगा ?
चांद मेरी
नज्मों
मेरी ग़ज़लों
मेरे अशआरों
में आना बंद
कर दे तो
क्या होगा?
सुना है
दूर कहीं
नीली
रातों में
एक दरिया
बहता है
सुनता हूँ
एलिक्ज़र ऑफ़ लाइफ
उसमे बहता है .
आजकल बस
उसी की तलाश में हूँ .
और फिलासफ़र स्टोन
वो तो मुझे उसी
दिन ही मिल गया
जिस रोज़
तुम मिले थे
राहों में अचानक
मुझको
इक अरसा बाद

Friday, 20 March 2009

चाँद तुमसे बहुत कुछ कहना है अभी ...


कविता में
मैं तुम्हे देखूंगा
शब्दों के लिबास
को ओढे हुए
तुम मुझे नज़र
ही जाओगी
कविता में
तुम्हे देखूंगा
छबियां बनाऊंगा
सफे पर तुम्हारी
जबकि
कूची लकीरे
मेरा हुनर नही
फ़िर कुछ तस्वीरे
बन जाएँगी
शायद तुम हसो कभी
जिन्हें देखके
कविता में देखूंगा
हर्फो की रेशमी चादर
हर्फो का ज़रियों वाला
लिबास ओढे
तुम मुझे नज़र
ही जाओगी
कभी ग़ज़ल
कभी नज़्म
बनके मेरे
पन्नो पर
तुम जन्नत की
गलियों को छोडके
उतर आओगी
फ़िर
किसी धुन को
छेड़ कर मैं
तुम्हे गुनगुनाने की
कोशिश करूँगा
आलाप
मुखड़े
अंतरे
राग रागनी
बनके तुम मेरे
गीतों में जाओगी
गुलगोशियों में
रहने वाले सुखनवर
की तरह मैं
फूलों में
तुम्हे देख लूँगा
कुछ देर चाँद
से करके गुफ्तगू
उसकी किरणों में
तुम्हे देख लूँगा
और
अक्सर मेरे गीतों में
जो चाँद आता है !!
वो चाँद तुम ही तो हो
आयत की तरह
जब कोई शब्द
मेरी कलम से
आएगा
तेरा अक्स तेरा नूर
मुझे नज़र आएगा
मन्दिर के दिए
में तुम्हे देखूंगा
उसकी रौशनी को
आँखों में भरके
तुम्हे क़ैद कर लूँगा
रुबाइयाँ जब दिल की
गहराइयों से निकले
मैं हर हर्फ़ तुम्हे
ढूँढ लूँगा
बहती हवा में
तेरी खुशबू जब
आएगी मुझ तक
फिजाओं से तेरा
पता पूछ लूँगा
चाँद तुमसे
बहुत कुछ कहना है
अभी
कि दूर तलक
चले अब ये
सिलसिला बातो का
ख्यालों का



(सालगिरह मुबारक "सिलसिला बातो का ख्यालो का ..." ब्लॉग के एक साल पूरे हुएआप सभी सुधि पाठकों का दिल से आभार
सिलसिला बातों का ख्यालों का ,अब दूर तलक जाए
आस्मां से आगे जाकर ,खुदा तक पहुँच जाए
---
अमिताभ )

Tuesday, 10 March 2009

रंग उल्फत का


रंग उल्फत का अबकी होली दीजो
अंग संग मेरी रूह भी रंग दीजो

लाल पीला गुलाबी हरा नीला
रंग तोरा श्याम छैल छबीला

अपने रंग से अबकी रंग दीजो
अंग संग मेरी रूह भी रंग दीजो

रंग संग हो गई चुनर रंग
तेरे संग जागती सोती उमंग

तोरे रंग से महके मेरे दिन
तोरे रंग में रंगे मेरे पल छिन
तोरे रंग का जादू अब मुझ पर
रंग तोरा मेरी राहों का रहबर

अपनी उमंग अबकी भर दीजो
अंग संग मेरी रूह भी रंग दीजो

मेरे कतरे के समन्दर कीजो
अंग संग मेरी रूह भी रंग दीजो

मेरी रूह पर जबसे पड़ा तोरा रंग
मन मेरा जगा ,मेरे संग हुआ रंग
अपने ही अंग से अबकी रंग दीजो
रंग उल्फत का अबकी होली दीजो

(आप सभी को होली की रंगों भरी शुभकामनायें !!!)

Thursday, 26 February 2009

दादी नानी

किस्से कहानीयों की
किताब दादी नानी
अच्छी दोस्त दादी नानी

माँ जब डांट दे ,
समझाती बुझाती
दादी नानी
बच्चों में बच्चा होती
दादी नानी

उसकी थैली
पान सुपारी
उसके किस्सों में
राजा रानी राजकुमारी

जाने कैसे वो
जंगल ले जाए
परियों का देश
घुमाये

मीठी मीठी
बातें कहती
शहद रसीला
दादी नानी

कोई दोस्त
जब मिले न मुझको
दोस्त मेरा बनती
दादी नानी

मेरी हर
फरमाइश सुनती
पूरा उसका करती
दादी नानी

जब मैं पास
नही होता हूँ
उदास होती
दादी नानी
(तनु के जन्मदिन पर )

Friday, 20 February 2009

रुत ए बहार


रुत ए बहार , इश्क़ बेशुमार
गुलगोशियों के आलम में
चाँद पर इश्क़ का ख़ुमार

वक्त को थाम लो
एक हसीन शाम दो
रात जब ढलने लगे
सुबह का सलाम दो

लहरों की ऊँगली थाम के
ले चल मुझे समन्दर के पार
रुत ए बहार इश्क बेशुमार

तारों को गिन ले
फलक से चुन ले
लम्हों के आलम को
यादों का नाम दो

रुत ए बहार , इश्क़ बेशुमार
गुलगोशियों के आलम में
चाँद पर इश्क़ का ख़ुमार

Saturday, 14 February 2009

प्यार के दिन

(एक)
प्यार के दिन तुझको सलाम

जब इश्क बंदगी हो जाए
इश्क ज़िन्दगी बन जाए

बेलगाम ख्वाइशों के घोडे
ख्वाबों में दौडे/ख्यालों में दौडे

झरोखें पर रख दिया तोहफा चाँद का

जब इश्क इनायत हो जाए
एहसास इबादत बन जाए

नीले आस्मां में परिंदे इश्क के
उड़ते उड़ते दूर तलक जाए

दिखा ख्वाब फ़िर आँखे मुझको
पलकों अलकों पर/ मैं धर लूँ ख्वाब
ज़िन्दगी जैसे/ कोई ग़ज़ल तरन्नुम
हर्फ़ बने दिल का एहसास

(दो )

तेरे मेरे प्यार के रंग
प्रीत के रंग
उम्मीद के रंग

आकाश से ऊँचे रंग
सागर से गहरे रंग
इन रंगों से मिल जाते है
इन रंगों मे घुल जाते है
तेरे मेरे प्यार के रंग

तेरे मेरे प्यार के रंग
प्रीत के रंग
उम्मीद के रंग

प्रीत के इन रंगों मे भीगे
मन का हर कोना
दिल के आस्मां में उतरे
चाँद सा कोई खिलौना

तेरे मेरे साथ है रंग
तेरे मेरे बाद हैं रंग !!

तेरे मेरे प्यार के रंग
प्रीत के रंग
उम्मीद के रंग !!

और

तुम्हारे लिए ...
मुद्दत हुई तुमसे
मिले हुए
लेकिन
दिल ये कहता है
प्यार का ये रंग
जन्मो पुराना है

Friday, 6 February 2009

बोसा बसंत का


बोसा बसंत का
मन की उमंग का

बोसा बसंत का
दिल की उमंग का
ख्वाबों सी पतंग का

रूह को रंगे रंगरेज़
बोसा बसंत का

कुदरत परचढा
फूलों का रंग

डाल डाल फूलों की चादर
नीले आसमान के नीचे
बिछ गए फूलों के गलीचे

बोसा बसंत का

खुदा नही सकता था
हम सबके सामने
कुदरत में रंग भरे
ताकि महसूस करे
हम खुदा को
देख फूलों की चादरें

कुदरत में आई फूलों की सिलवट
महकी फिजा महकती आहट

ख्वाब जैसे नींद छोड़ के
ज़मी पर गए
खुदा तेरे रंग निराले
हम सब को भा गए

पीली पीली सरसों
रंग बिरंगे फूल
इस ज़मी पर छा गए
खुदा गुनगुनी धूप में
बैठ के हम धुनी रमायें
रंग इस फिजा का
अपनी रूह पर चढाएं

कभी खुदा फूलों की
इस चादर पर तुम भी
बैठने आओ
छिपते फिरते हो कहाँ
हमसे भी मिलते जाओ

यकीन हम सबको
एक बार ये हो जाए
होता है खुदा
फूलों सा हँसता है खुदा
हमको
महसूस हो जाए

बोसा बसंत का
दिल की उमंग का
ख्वाबों सी पतंग का
रूह को रंगे रंगरेज़
बोसा बसंत का

Thursday, 29 January 2009

दुआ


देख लो सपना कोई
कोई
कहने लगा
जाने किसकी है ये दुआ
पिघला पिघला रहने लगा

फूलो के जैसा मौसम हुआ
रंग
कोई रूह में भरने लगा
जाने किसकी है ये दुआ
पिघला पिघला रहने लगा

तुम खुदा बनके छाने लगे
दिन
मेरे अब गाने लगे
आस्मां
दिल में समाने लगे
जाने किसकी है ये दुआ
पिघला पिघला रहने लगा

झरने के जैसा बहता है मन
जाने
कौन बांधे है मन
रुत ये हसीं बनके उड़ने लगी
सोई
सोई आंखे जागने लगी

आँखों में कोई समाने लगा
खुदा भी नज़र आता लगा
जाने किसकी है ये दुआ
पिघला पिघला रहने लगा

Tuesday, 20 January 2009

तीन गहने


फूलो के बाग़ का है ये वादा
मुस्कुराने का कर इरादा
हँस तू खिलते फूलों की तरह
जिंदगी से जुड़
महकती फिजा की तरह
तेरी हसी से वादियाँ हसे
तेरी खुशी में नदियाँ मुडे
तेरे गालो से झरने बहे
गीत कोई गुनगुना
बिन कहे ही मुस्कुरा
तेरे लबो पर हसी का बोसा
देगा हसने का फूलो को मौका
जिंदगी फ़कत दुश्वारियां नही
जिंदगी गीत भी है
जियो हसो प्यार करो ,
ज़िन्दगी नई बहार करो
खुलो मिलो खुश रहो
ज़िन्दगी गुलज़ार करो
जीना, हसना, प्यार करना
ज़िन्दगी के ये तीन गहने
जो भी पहने
जिंदगी लगे गाने हसने

Saturday, 17 January 2009

सुबोह


जन्नत ने जैसे खिड़की खोली
सुबह यूँ हँस के बोली
सूरज की पहली किरण से
ख्वाब जागे नींद से
परिंदों की बोली से
जागे रोम रोम कायनात के
ज़मी पे ये नज़ारे जन्नत के
हर सुबह देती है नया इरादा
ताजी हवा का झोंका खोले
दिल का झरोखा
सुबह की परी लायी खुशी
सुबह की परी लायी हसी
मुस्कुराये अब सवेरे
ये नज़ारे सब हैं तेरे

Tuesday, 13 January 2009

पुण्या की रेल


चक्के चक्के दौडम भाग
नींद में थक गए हम आज
ख्वाबो में एक रेल चलायी
छुक छुक करती रेल भगायी

जंगल जंगल दौडी रेल
छुक छुक करती भागी रेल
चक्के चक्के दौडम भाग
नींद में थक गए हम आज

रेल संग गिलहरी दौडे
दांतों में अखरोट दबाये
अपनी रेल में बैठी कोयल
प्यारा प्यारा गाना गाये

हाथी बैठे ,बैठे शेर
बैठे चिडिया और बटेर
मैना गहना पहने बैठे
रेल में नाचा देखो मोर
चल पड़ी रेल अगले छोर

भालू सिग्नल देता है
सी सी सीटी देता इंजन
चंदू बन्दर कूदे धम धम
रेल में करता ऊधम

चक्के चक्के छुक छुक छुक
रेल गाये छुक छुक छुक
पुण्या मुनिया रानी की रेल
करती दखो कितने खेल

पटरी पटरी भागे सरपट
सरपट सरपट खटपट खटपट
स्टेशन देखो आए झटपट
रुक रुक जाए छुक छुक रेल

मीठी मीठी निंदिया जाए
सर्र सर्र कर हवा लहराए
छुक छुक करती चलती रेल
टुक टुक करती मटके रेल

चक्के चक्के दौडम भाग
नींद में थक गए हम आज
ख्वाबो में एक रेल चलायी
छुक छुक करती रेल भगाई