चांद हथेली पर रहता है
आकाश का बिछौना रहता है
तारों कि चादर होती है
इश्क मे ख्वाब मे
सब कुछ मुमकिन होता है !!
चलते फिरते बिना प्रयोजन से लिखी बातो का सिलसिला !!
Friday, 29 February 2008
इंटरनेट पे
मिट जाएगा इक रोज़ निशा दुनिया मे
पर रह जाएगा नामों निशा
इंटरनेट पे
फ़ना हो जाए चाहे मेरी हस्ती दुनिया मे
रह जाएगा नमो निशा
इंटरनेट पे
धड़कती सवेंदना से माउस को थामना
मेरी डायरी के पन्नों पे चले आना
मे मिल जाऊंगा गुनगुनाते गीतों की
तरह इंटरनेट पे
पर रह जाएगा नामों निशा
इंटरनेट पे
फ़ना हो जाए चाहे मेरी हस्ती दुनिया मे
रह जाएगा नमो निशा
इंटरनेट पे
धड़कती सवेंदना से माउस को थामना
मेरी डायरी के पन्नों पे चले आना
मे मिल जाऊंगा गुनगुनाते गीतों की
तरह इंटरनेट पे
मेरे पास
उनको हक है कि वो हुकूमत करे मेरे दिल पर
मैं हर हुक़म उनका रखता हूँ सर माथे पर
मेरा दिल बस उन्ही की मल्कियत
इसके सिवा कुछ ओर भी तो नही
मेरे पास
मैं हर हुक़म उनका रखता हूँ सर माथे पर
मेरा दिल बस उन्ही की मल्कियत
इसके सिवा कुछ ओर भी तो नही
मेरे पास
एक वादा
एक वादा चांद करता है
चांदनी से रोज़ रात
चुपके चुपके
चांदनी भी अलसाई अंगडाई लेकर
मान लेती है वो वादा
चुपके चुपके
आगोश मे जब भरता है चांद
वो यद् दिला देती है वादा
चुपके चुपके
आस्मान नज़ारा करता है
हर रात चांद के मिलन का
चांद को लगता है
उसे कोई देखता है
चुपके चुपके
चांदनी से रोज़ रात
चुपके चुपके
चांदनी भी अलसाई अंगडाई लेकर
मान लेती है वो वादा
चुपके चुपके
आगोश मे जब भरता है चांद
वो यद् दिला देती है वादा
चुपके चुपके
आस्मान नज़ारा करता है
हर रात चांद के मिलन का
चांद को लगता है
उसे कोई देखता है
चुपके चुपके
लेट कट
तुम कोचिंग से आ रही थी
मैं मैदान मे खेल रहा था
तुम को आता देख मैंने सोचा
आज तुमको दूँ सलामी बल्ले से
लेट कट शाट लगाया था मैंने
जो गेंद को ले गया तुम्हारे
कदमों तले !!
मैं मैदान मे खेल रहा था
तुम को आता देख मैंने सोचा
आज तुमको दूँ सलामी बल्ले से
लेट कट शाट लगाया था मैंने
जो गेंद को ले गया तुम्हारे
कदमों तले !!
Thursday, 28 February 2008
पुराने पन्नों से
खूबसूरत सफर है चलते रहिये
जितना भी कटे काट लीजिये
परेशानी का सबब जानकर होगा क्या
ज़िंदगी को मदहोशी से भी पी लीजिये
कोई तारों को टकटकी लगाये उम्र खपाता है
कोई तारों की खयाली मे सुकून पता है
परवरदिगार तेरे राज़ अजीब हैं
ऐसे मे ये नाचीज़ क्या चीज़ है
उसे क्या हुआ मालूम नही
सुना है उसे भी मालूम नही है
फुरसत मे मिलने की बात करता है
पर कभी फुरसत मे नही मिलता है
शबे नूर पर चांद ही एक हूर है
तारें कई पर सब के सब इससे दूर हैं
होश रहा किसे कितना
कई बार ये सवाल ख़ुद से भी पूछना
पुराने पन्नों से निकल कर आई है ये बात
मिजाज़ मे कुछ नया नही
पर बात तो नयी ज़रूर है !!
जितना भी कटे काट लीजिये
परेशानी का सबब जानकर होगा क्या
ज़िंदगी को मदहोशी से भी पी लीजिये
कोई तारों को टकटकी लगाये उम्र खपाता है
कोई तारों की खयाली मे सुकून पता है
परवरदिगार तेरे राज़ अजीब हैं
ऐसे मे ये नाचीज़ क्या चीज़ है
उसे क्या हुआ मालूम नही
सुना है उसे भी मालूम नही है
फुरसत मे मिलने की बात करता है
पर कभी फुरसत मे नही मिलता है
शबे नूर पर चांद ही एक हूर है
तारें कई पर सब के सब इससे दूर हैं
होश रहा किसे कितना
कई बार ये सवाल ख़ुद से भी पूछना
पुराने पन्नों से निकल कर आई है ये बात
मिजाज़ मे कुछ नया नही
पर बात तो नयी ज़रूर है !!
Tuesday, 26 February 2008
Monday, 25 February 2008
उजाले
अब उजाले चारो ओर नज़र आतें हैं
जब से तुम बने मेरे हमनवां
मैं कोशिश मे हूँ कि को समंदर कर दूँ
मैं कोशिश मे हूँ कि तारों को नज़र कर दूँ
चंद रोज़ मे बदल जाएगा ये मंज़र
यकी है संवर जाएगा मुक़द्दर
शुभ घड़ी आ रही है
ज़िंदगी गा रही है !!
जब से तुम बने मेरे हमनवां
मैं कोशिश मे हूँ कि को समंदर कर दूँ
मैं कोशिश मे हूँ कि तारों को नज़र कर दूँ
चंद रोज़ मे बदल जाएगा ये मंज़र
यकी है संवर जाएगा मुक़द्दर
शुभ घड़ी आ रही है
ज़िंदगी गा रही है !!
Saturday, 23 February 2008
हैप्पी बर्थ डे तनु !!
इबादत
मैं सजदे मे हूँ इश्क तेरे
मेरी रूह का कहना है कि
तू मेरा मसीहा है ।
तेरी नजरो मे खुदा है
तेरी यही बात सबसे जुदा है
मैं सजदे मे हूँ इश्क तेरे
मेरी रूह का कहना है कि
तू मेरा मसीहा है
तेरी इबादत से खुदा रूठ जाए
मुझे डर नही ,मुझे यकीन है
खुदा को भी तुझ मे खुदा नज़र आता होगा
फ़िर भला कैसे एक खुदा दुसरे खुदा से रूठेगा
मेरी इबादत मुक्कमल है मेरी रूह का कहना है
मैं सजदे मे हूँ इश्क तेरे
मेरी रूह का कहना है कि
तू मेरा मसीहा है ।
ज़माना चाहे मुझे काफिर कह दे
चाहे फ़िर फतवे दे दे
मैं चाहूँगा खुदा मेरी इस गुस्ताखी पे
मुझे माफी दे दे .......
रुसवा हो जो खुदा तो तेरा दामन मिल जाएगा
तू अगर रुसवा हो जाए तो खुदा भी रूठ जाएगा
तेरे जिस्म मे आके ली थी सांसे मैंने
मेरी माँ मेरी ज़िंदगी
इस दुनिया मे तुझसा हसीं कौन मुझे मिल पायेगा ?
मुझे ये मालूम न था कि तुझ मे ही मुझे खुदा मिल जाएगा !!
मैं सजदे मे हूँ इश्क तेरे
मेरी रूह का कहना है कि
तू मेरा मसीहा है !!
मेरी रूह का कहना है कि
तू मेरा मसीहा है ।
तेरी नजरो मे खुदा है
तेरी यही बात सबसे जुदा है
मैं सजदे मे हूँ इश्क तेरे
मेरी रूह का कहना है कि
तू मेरा मसीहा है
तेरी इबादत से खुदा रूठ जाए
मुझे डर नही ,मुझे यकीन है
खुदा को भी तुझ मे खुदा नज़र आता होगा
फ़िर भला कैसे एक खुदा दुसरे खुदा से रूठेगा
मेरी इबादत मुक्कमल है मेरी रूह का कहना है
मैं सजदे मे हूँ इश्क तेरे
मेरी रूह का कहना है कि
तू मेरा मसीहा है ।
ज़माना चाहे मुझे काफिर कह दे
चाहे फ़िर फतवे दे दे
मैं चाहूँगा खुदा मेरी इस गुस्ताखी पे
मुझे माफी दे दे .......
रुसवा हो जो खुदा तो तेरा दामन मिल जाएगा
तू अगर रुसवा हो जाए तो खुदा भी रूठ जाएगा
तेरे जिस्म मे आके ली थी सांसे मैंने
मेरी माँ मेरी ज़िंदगी
इस दुनिया मे तुझसा हसीं कौन मुझे मिल पायेगा ?
मुझे ये मालूम न था कि तुझ मे ही मुझे खुदा मिल जाएगा !!
मैं सजदे मे हूँ इश्क तेरे
मेरी रूह का कहना है कि
तू मेरा मसीहा है !!
तुम मिलो
इश्क के सिलसिले
जनम जनम तक मिले
तुम मिलो हम मिले
इस गगन के तले
चाहतों के सिलसिले
यूहीं चले यूहीं चले
तुम्हारी आगोश मे
खुशियों के गुल खिले
प्यार की बाते प्यार के ख़त
ऐसी ही सौगते मिलती रहे
चाहतों के सिलसिले
यूहीं चले यूहीं चले
तुम्हारे साथ ही कायनात हसीन
लगती है , मुझको साथ मिले जो तेरा
तो हार भी जीत लगती है !!
तुम मिलो हम मिले
इस गगन के तले
चाहतों के सिलसिले
यूहीं चले यूहीं चले
जनम जनम तक मिले
तुम मिलो हम मिले
इस गगन के तले
चाहतों के सिलसिले
यूहीं चले यूहीं चले
तुम्हारी आगोश मे
खुशियों के गुल खिले
प्यार की बाते प्यार के ख़त
ऐसी ही सौगते मिलती रहे
चाहतों के सिलसिले
यूहीं चले यूहीं चले
तुम्हारे साथ ही कायनात हसीन
लगती है , मुझको साथ मिले जो तेरा
तो हार भी जीत लगती है !!
तुम मिलो हम मिले
इस गगन के तले
चाहतों के सिलसिले
यूहीं चले यूहीं चले
Wednesday, 20 February 2008
चादर
चांद ने ओढ़ रखी थी
बादलों की चादर
जैसे उसको भी सर्दी लगती हो
मौसम गरमी का आते देख
चांद ने छोड़ दी बादलों की चादर !!
बादलों की चादर
जैसे उसको भी सर्दी लगती हो
मौसम गरमी का आते देख
चांद ने छोड़ दी बादलों की चादर !!
Tuesday, 19 February 2008
चलते चलते
जीवन का क्या है चलता जाएगा
फिर एक रोज़ रुक जाएगा
कभी मन निराशा से डूब जाता है
और कभी आशा में गीत गाता है
आज जो है कल नही होगा
ज़िन्दगी में पता नहीं कब क्या होगा
अब तो कोई इशारा करो
मैं थक गया इस तरह चलते चलते
(sent mail to trishna jan2007)
फिर एक रोज़ रुक जाएगा
कभी मन निराशा से डूब जाता है
और कभी आशा में गीत गाता है
आज जो है कल नही होगा
ज़िन्दगी में पता नहीं कब क्या होगा
अब तो कोई इशारा करो
मैं थक गया इस तरह चलते चलते
(sent mail to trishna jan2007)
ज़िन्दगी का रँग
"ज़िन्दगी का रँग"
जब मन का मीत मिले
तब जीवन गीत बने
सुर बने साज़ बने
जीवन एक आवाज़ बने.
मैं अब भी इंतज़ार करता हूँ तेरा ज़िन्दगी,
आ मेरे पास तू इक जीत की शक़्ल में.
मेरे मन का दर्पण अब भी कोरा है,
जब भी आ ,आजा अपनी शक़्ल देख ले.
तेरा इंतज़ार ही सही मेरी ज़िन्दगी का हासिल,
ये बात और की तेरी ज़िन्दगी अब वैसी नही.
कभी तू भी दिल लगाना और देख लेना,
दिल लगाकर तुझसे मैने क्या खोया.
मैं अपनी तडप आप हूँ,
अपने दर्द की खुद ही आवाज़ हूँ.
तू जान भी ले और मान भी ले,
दिल लगाना कोई हसी खेल नही .
ये जो मेला था बिछुड गया,
एक हिस्सा था कभी छूट गया .
पर्दे में क्यों छिप जाती हो ,
मै ही तो इक राज़दाँ हूँ,
मुझसे क्या छिपाती हो.
खुद को खोया तो खुदा मिला,
अपना वज़ूद अब जुदा हुआ....
(sent mail to trishnaji july 2007)
जब मन का मीत मिले
तब जीवन गीत बने
सुर बने साज़ बने
जीवन एक आवाज़ बने.
मैं अब भी इंतज़ार करता हूँ तेरा ज़िन्दगी,
आ मेरे पास तू इक जीत की शक़्ल में.
मेरे मन का दर्पण अब भी कोरा है,
जब भी आ ,आजा अपनी शक़्ल देख ले.
तेरा इंतज़ार ही सही मेरी ज़िन्दगी का हासिल,
ये बात और की तेरी ज़िन्दगी अब वैसी नही.
कभी तू भी दिल लगाना और देख लेना,
दिल लगाकर तुझसे मैने क्या खोया.
मैं अपनी तडप आप हूँ,
अपने दर्द की खुद ही आवाज़ हूँ.
तू जान भी ले और मान भी ले,
दिल लगाना कोई हसी खेल नही .
ये जो मेला था बिछुड गया,
एक हिस्सा था कभी छूट गया .
पर्दे में क्यों छिप जाती हो ,
मै ही तो इक राज़दाँ हूँ,
मुझसे क्या छिपाती हो.
खुद को खोया तो खुदा मिला,
अपना वज़ूद अब जुदा हुआ....
(sent mail to trishnaji july 2007)
Saturday, 16 February 2008
हवाले
वो चाहे तो अब क़त्ल कर दे
वो चाहे तो अब दफन कर दे
ये अब उनकी ही मर्जी है
वो चाहे जैसा मेरा अंजाम कर दे !!
मैं तो बस उनकी राहों मे ही चल दिया
क्या हुआ जो मेरी इस बात पर
ज़माना जल गया
मैं तो बस उनका ही हूँ अब यारो
वो चाहे तो मुझे अपने दिल मे बसा ले
या कि दिल से निकाले
अब ये तो उनको ही तय करना है
मैंने तो कर दी ज़िंदगी अब उनके हवाले
वो चाहे तो अब दफन कर दे
ये अब उनकी ही मर्जी है
वो चाहे जैसा मेरा अंजाम कर दे !!
मैं तो बस उनकी राहों मे ही चल दिया
क्या हुआ जो मेरी इस बात पर
ज़माना जल गया
मैं तो बस उनका ही हूँ अब यारो
वो चाहे तो मुझे अपने दिल मे बसा ले
या कि दिल से निकाले
अब ये तो उनको ही तय करना है
मैंने तो कर दी ज़िंदगी अब उनके हवाले
कोई आ जाता है
जब ज़िंदगी मे कोई आ जाता है
सारा आलम ही हसीं नज़र आता है
ज़िंदगी बन जाती है गुलशन
चारो ओर बस सनम ही नज़र आता है
मयखाने से कोई भी लौटा नही आज तलक
बिन पिए
जब कोई आ जाता है तो दिल पे सुरूर छा जाता है !!
सारा आलम ही हसीं नज़र आता है
ज़िंदगी बन जाती है गुलशन
चारो ओर बस सनम ही नज़र आता है
मयखाने से कोई भी लौटा नही आज तलक
बिन पिए
जब कोई आ जाता है तो दिल पे सुरूर छा जाता है !!
Friday, 15 February 2008
ज़ंग
ज़ंग नही होने देना
मुफ्त का गम नही लेना
जो मज़ा सुकून मे है
वो मज़ा ही लेना
ज़ंग नही होने देना
ज़ंग नही होने देना
मुफ्त का गम नही लेना
जो मज़ा सुकून मे है
वो मज़ा ही लेना
ज़ंग नही होने देना
ज़ंग नही होने देना
देखोगे ख्वाब
हकीकत भी होंगे
सच भी होंगे
देखोगे ख्वाब तो पूरे होंगे !!
ज़मीन पे उतर आयेगी जन्नत
सच भी होंगे
देखोगे ख्वाब तो पूरे भी होंगे !!
ज़िंदगी को मत जीना कभी
होकर उदास
रूखी रूखी रुठी रुठी
मत रखना दिल की किताब
रंग भी होंगे तरंग भी होगी
जिन्दगी पूरी पूरी लगेगी
एक दिया जलाना
ख़ुद पर एतबार का
एक लौ जलाना एक लगन लगाना
जिन्दगी को बनाने की
हर नूर मिलेगा
हर लम्हा खुशी की सौगात लाएगा
खुश रहोगे तुम तो सारा आलम
सारा मंज़र हसीन नज़र आएगा
सच होंगे पूरे होंगे
देखोगे ख्वाब तो पूरे भी होंगे !!
सच भी होंगे
देखोगे ख्वाब तो पूरे होंगे !!
ज़मीन पे उतर आयेगी जन्नत
सच भी होंगे
देखोगे ख्वाब तो पूरे भी होंगे !!
ज़िंदगी को मत जीना कभी
होकर उदास
रूखी रूखी रुठी रुठी
मत रखना दिल की किताब
रंग भी होंगे तरंग भी होगी
जिन्दगी पूरी पूरी लगेगी
एक दिया जलाना
ख़ुद पर एतबार का
एक लौ जलाना एक लगन लगाना
जिन्दगी को बनाने की
हर नूर मिलेगा
हर लम्हा खुशी की सौगात लाएगा
खुश रहोगे तुम तो सारा आलम
सारा मंज़र हसीन नज़र आएगा
सच होंगे पूरे होंगे
देखोगे ख्वाब तो पूरे भी होंगे !!
Thursday, 14 February 2008
दीवार
एक दीवार दुनिया की
एक दीवार तुम्हारी
रोक लेती है
टोक देती है
बहने से हवाओं को
रोक लेती है
टोक देती है
खिलने से फूलों को
रोक लेती है
टोक देती है
पत्तो को गुनगुनाने से
रोक लेती है
टोक देती है
आस्मान को शामियाने बनाने से
दीवार दीवार दीवार ......
हम सबके भीतर
कभी कोई बना देता है
कभी हम बना देते है
दीवार दीवार दीवार
रोक लेती है
टोक देती है
परवाज़ को उड़ने से
बच्चो को पतंग उड़ाने से
साजो को सुनाने से
आवाज़ को सच बताने से !!
तोड़ दो फोड़ दो
अपने भीतर बाहर और
इर्द गिर्द की हर दीवार को !!!
हवाओं को आने दो
परवाज़ को उड़ने दो
बच्चो को पतंग उड़ाने दो
साजो को संगीत बिखेरने दो
आवाज़ को सच बताने दो
फूलों को खिलने दो
कलियों को मुस्कुराने दो !!
एक दीवार तुम्हारी
रोक लेती है
टोक देती है
बहने से हवाओं को
रोक लेती है
टोक देती है
खिलने से फूलों को
रोक लेती है
टोक देती है
पत्तो को गुनगुनाने से
रोक लेती है
टोक देती है
आस्मान को शामियाने बनाने से
दीवार दीवार दीवार ......
हम सबके भीतर
कभी कोई बना देता है
कभी हम बना देते है
दीवार दीवार दीवार
रोक लेती है
टोक देती है
परवाज़ को उड़ने से
बच्चो को पतंग उड़ाने से
साजो को सुनाने से
आवाज़ को सच बताने से !!
तोड़ दो फोड़ दो
अपने भीतर बाहर और
इर्द गिर्द की हर दीवार को !!!
हवाओं को आने दो
परवाज़ को उड़ने दो
बच्चो को पतंग उड़ाने दो
साजो को संगीत बिखेरने दो
आवाज़ को सच बताने दो
फूलों को खिलने दो
कलियों को मुस्कुराने दो !!
खिलती
खिलती मुस्कान हो तुम
खिलते फूलों की तरह
तुम्हारी बातें जुदा है
सबसे ......
तुम जुदा हो सबसे
दिल को हर बार यही महसूस होता है
तुमसे मिलकर ....
कोई भी नही तुमसा नही है
इस पूरी कायनात मे !!
तुम्हारी मुस्कान /संगेमरमर का बदन
सैकडो फूलों की महक /क्या खूब
बला का हुस्न तुम्हारा है
खिलते फूलों की तरह
तुम्हारी बातें जुदा है
सबसे ......
तुम जुदा हो सबसे
दिल को हर बार यही महसूस होता है
तुमसे मिलकर ....
कोई भी नही तुमसा नही है
इस पूरी कायनात मे !!
तुम्हारी मुस्कान /संगेमरमर का बदन
सैकडो फूलों की महक /क्या खूब
बला का हुस्न तुम्हारा है
मिलेंगे
कल मिलेंगे परसों मिलेंगे
सिलसिला वफा का चलता रहा तो
हम बरसों मिलेंगे !!
सावन मे मिलेंगे भादो मे मिलेंगे
बसंत और पतझड़ मे मिलेंगे
तुमने प्यार से गले लगाया तो
हम बरसों मिलेंगे !!
गम तुम्हारे ले लूँ
दिल कहता है
खुशी तुमको दे दूँ
दिल कहता है
दिल से दिल की बातें
हो जाए मुक्क़मल
हम सदियों तक
जन्मों जन्मों तक
यू हीं मिलेंगे !!
सिलसिला वफा का चलता रहा तो
हम बरसों मिलेंगे !!
सावन मे मिलेंगे भादो मे मिलेंगे
बसंत और पतझड़ मे मिलेंगे
तुमने प्यार से गले लगाया तो
हम बरसों मिलेंगे !!
गम तुम्हारे ले लूँ
दिल कहता है
खुशी तुमको दे दूँ
दिल कहता है
दिल से दिल की बातें
हो जाए मुक्क़मल
हम सदियों तक
जन्मों जन्मों तक
यू हीं मिलेंगे !!
गठरी
एक गठरी समान की
एक गठरी यादों की
लेकर आया गाँव से मैं
यादों की गठरी बोझ नही मन पे
समान की गठरी बोझ क्यों लगती है ?
एक गठरी यादों की
लेकर आया गाँव से मैं
यादों की गठरी बोझ नही मन पे
समान की गठरी बोझ क्यों लगती है ?
होली
रंग उड़ा था उस होली मे
कायनात भी रंगो से नहाई थी
मैं भीगा था प्यार मे तेरे
तू भी तो रंगो मे नहाई थी !!
कायनात भी रंगो से नहाई थी
मैं भीगा था प्यार मे तेरे
तू भी तो रंगो मे नहाई थी !!
आँगन
आंगन आज भी वही है
आँगन मे लगे दरख्त भी वही हैं
सब कुछ वैसा ही है जैसा पहला था
फर्क इतना बस कि
अब तू भी नही वहां पर
मैं भी नही वहां पर
यादो के गलियारे से
मायूस लौट के आया हूँ
पर यादो मे कहीं तेरा जिक्र नही
ऐसी तो बात नही !!
मैं रहूँ कही भी
तू हमेशा मेरे साथ मे हैं !!
आँगन मे लगे दरख्त भी वही हैं
सब कुछ वैसा ही है जैसा पहला था
फर्क इतना बस कि
अब तू भी नही वहां पर
मैं भी नही वहां पर
यादो के गलियारे से
मायूस लौट के आया हूँ
पर यादो मे कहीं तेरा जिक्र नही
ऐसी तो बात नही !!
मैं रहूँ कही भी
तू हमेशा मेरे साथ मे हैं !!
Wednesday, 13 February 2008
माँ
हजार मील दूर से भी जान जाती है
कि पीठ मे दर्द है
मैंने खाना नही खाया
मैं लापरवाही करता हूँ
वक़्त से उठता नही
वक़्त पे सोता नही
अकेलेपन से ऊब जाता हूँ
मेरी ऐसी ही कितनी बातें हैं
जो चाहकर भी तुझसे
छिपती नही हैं
माँ !!
कि पीठ मे दर्द है
मैंने खाना नही खाया
मैं लापरवाही करता हूँ
वक़्त से उठता नही
वक़्त पे सोता नही
अकेलेपन से ऊब जाता हूँ
मेरी ऐसी ही कितनी बातें हैं
जो चाहकर भी तुझसे
छिपती नही हैं
माँ !!
Tuesday, 12 February 2008
बसंत
मौसम की तरंग है
फूलों पे रंग है
वसुधा के कण कण मे
तरंग है
ये बसंत है
ये बसंत है
मन पुलकित है
हर्षित है .....
जीवन की ताजी ताजी
ये पतंग है ॥
ये बसंत है
ये बसंत है
फूलों पे रंग है
वसुधा के कण कण मे
तरंग है
ये बसंत है
ये बसंत है
मन पुलकित है
हर्षित है .....
जीवन की ताजी ताजी
ये पतंग है ॥
ये बसंत है
ये बसंत है
रंग
ऋतु बसंत की
मन मे लाती तरंग है
पूरी वसुधा पे छाया ये किसका रंग है !!
कोयल गाती बौर पे
फूल खिलते हर छोर पे
इस ओर उस ओर
चहुँ ओर फैला मनभावन रंग है
बसंत है बसंत है
वर देवी का स्वर है
बसंत तो मन का रंग है
मन मे लाती तरंग है
पूरी वसुधा पे छाया ये किसका रंग है !!
कोयल गाती बौर पे
फूल खिलते हर छोर पे
इस ओर उस ओर
चहुँ ओर फैला मनभावन रंग है
बसंत है बसंत है
वर देवी का स्वर है
बसंत तो मन का रंग है
Monday, 11 February 2008
चिंगारी
एक चिंगारी जलाओ
अपने भीतर
ताकि मिट सके
अंतःकरण का अंधकार
जलाओ जलाओ
जलने के लिए
हो जाओ तैयार
तस्वीर बदलना है
हालात बदलना है
अभी तो और दूर चलना है !!
अपने भीतर
ताकि मिट सके
अंतःकरण का अंधकार
जलाओ जलाओ
जलने के लिए
हो जाओ तैयार
तस्वीर बदलना है
हालात बदलना है
अभी तो और दूर चलना है !!
Sunday, 10 February 2008
सागर की बात
मेरे परम मित्र अमित के सागर की एक रचना जो मुझे बेहद पसंद है ........
कुछ ग़मों के दीये कभी नहीं बुझेंगे
जले बारम्बार-ये अश्क नहीं थमेंगे
बचपन का छत से गिर जाना
फिर मौत का आना
लहू की आखिरी बूंद तक तड़पना
फिर मेरा मर जाना
ये सिलसिले कभी नहीं थमेंगे
कुछ ग़मों के दीये कभी नहीं बुझेंगे
खिलोनों के टूटने पर
मेरे रूठने पर
दिलासा देती थी "दादी"
ये फिर से जुड़ जायेंगे
और नए फिर लायेंगे
वो खिलोनें मेरे घर में
अब कभी नहीं बनेंगे
कुछ ग़मों के दीये कभी नहीं बुझेंगे
जिन उंगलियों का सहारा नहीं
दर्द क्यों उनका भी गंवारा नहीं
कभी "पा" कहते हैं कभी "पापा"
कहने से क्या है मगर ए-"सागर"
वो आह! तक नहीं भरेंगे
कुछ ग़मों के दीये कभी नहीं बुझेंगे
------------(अमित के. सागर) ५-१२-०७
कुछ ग़मों के दीये कभी नहीं बुझेंगे
जले बारम्बार-ये अश्क नहीं थमेंगे
बचपन का छत से गिर जाना
फिर मौत का आना
लहू की आखिरी बूंद तक तड़पना
फिर मेरा मर जाना
ये सिलसिले कभी नहीं थमेंगे
कुछ ग़मों के दीये कभी नहीं बुझेंगे
खिलोनों के टूटने पर
मेरे रूठने पर
दिलासा देती थी "दादी"
ये फिर से जुड़ जायेंगे
और नए फिर लायेंगे
वो खिलोनें मेरे घर में
अब कभी नहीं बनेंगे
कुछ ग़मों के दीये कभी नहीं बुझेंगे
जिन उंगलियों का सहारा नहीं
दर्द क्यों उनका भी गंवारा नहीं
कभी "पा" कहते हैं कभी "पापा"
कहने से क्या है मगर ए-"सागर"
वो आह! तक नहीं भरेंगे
कुछ ग़मों के दीये कभी नहीं बुझेंगे
------------(अमित के. सागर) ५-१२-०७
मेल से
तन्हाई अपनी मिटटी से मैं ज्यादा दिन न सह पाउँगा
इक रोज़ उडके मैं वही जाना चाहूँगा
जला जब कतरा कतरा तो याद तुम्ही आये
वो सावन के झूले और बागों के पत्ते गुनगुनाये
दिल समन्दर है इसमें आके डूब जा
या जा कहीं और फिर वापस मत आ ....
तुम जिसे अपना कहो कोई भी नहीं ऐसा
पागल डेरा है ये या मैं खुद पागल जैसा
सच सिर्फ सच होता है कुछ और नहीं
खबर ये ताज़ा है कुछ और नहीं !!
(मार्च २००७ मे अपने मित्र तृष्णा को भेजी गयी एक मेल )
इक रोज़ उडके मैं वही जाना चाहूँगा
जला जब कतरा कतरा तो याद तुम्ही आये
वो सावन के झूले और बागों के पत्ते गुनगुनाये
दिल समन्दर है इसमें आके डूब जा
या जा कहीं और फिर वापस मत आ ....
तुम जिसे अपना कहो कोई भी नहीं ऐसा
पागल डेरा है ये या मैं खुद पागल जैसा
सच सिर्फ सच होता है कुछ और नहीं
खबर ये ताज़ा है कुछ और नहीं !!
(मार्च २००७ मे अपने मित्र तृष्णा को भेजी गयी एक मेल )
कोहराम
कुछ तो करो कुछ तो करो
बड़ी देर से खामोश हो
चुप रहोगे इतना तो कोई
भी अफसाना नही बनेगा
जिंदा रहने के लिए चिल्लाना
ज़रूरी है
जिन्दगी की यही बस मजबूरी है
खामोश न रहो
कोहराम मचा दो
खामोश न रहो
कोहराम मचा दो !!
बड़ी देर से खामोश हो
चुप रहोगे इतना तो कोई
भी अफसाना नही बनेगा
जिंदा रहने के लिए चिल्लाना
ज़रूरी है
जिन्दगी की यही बस मजबूरी है
खामोश न रहो
कोहराम मचा दो
खामोश न रहो
कोहराम मचा दो !!
पैमाइश
दिल की हसरत है ,पूरी ज़रूर होगी
दिल से चाहा है जैसे वो बात मुक्कमल होगी
पैमाइश की हसरत है , वजूद भी साबित हो जाएगा
फिक्र कैसी आज जो जिक्र नही कहीं पर भी अपना
एक वक़त ऐसा भी आएगा
जब हर तरफ अपनी ही बात होगी .
आईना देखकर घर से निकलते नही
चेहरा जो पहचाना सा लगता है
रूह से खुद को देख लिया
खुद से खुद की मुलाक़ात भी होगी .
ज़िंदगी के माने अभी अधूरे ही सही
हमने कभी भी इस बात का बुरा नही माना
ज़िंदगी का दीदार भी होगा पूरा पूरा
ये आरजू भी पूरी होगी !!
नही गम नही ख़ुशी एक सादगी ही झलकती है
ख़ुशी और गम से भी बड़ी बात पूरी होगी .
दिल से चाहा है जैसे वो बात मुक्कमल होगी
पैमाइश की हसरत है , वजूद भी साबित हो जाएगा
फिक्र कैसी आज जो जिक्र नही कहीं पर भी अपना
एक वक़त ऐसा भी आएगा
जब हर तरफ अपनी ही बात होगी .
आईना देखकर घर से निकलते नही
चेहरा जो पहचाना सा लगता है
रूह से खुद को देख लिया
खुद से खुद की मुलाक़ात भी होगी .
ज़िंदगी के माने अभी अधूरे ही सही
हमने कभी भी इस बात का बुरा नही माना
ज़िंदगी का दीदार भी होगा पूरा पूरा
ये आरजू भी पूरी होगी !!
नही गम नही ख़ुशी एक सादगी ही झलकती है
ख़ुशी और गम से भी बड़ी बात पूरी होगी .
दिल
मेरी हर सौगात तुम्ही से है
दिल की बात तुम्ही से है
तुम मेरी ज़िंदगी के माने हो
दिल से दिल की चाँद रात तुम्ही से है !!
दिल की बात तुम्ही से है
तुम मेरी ज़िंदगी के माने हो
दिल से दिल की चाँद रात तुम्ही से है !!
Saturday, 9 February 2008
बाबा
बाबा वेलेन की कुर्बानी
आशिकी को इतना बढ़ा देगी
जेब भरेगी
गिफ्ट बनाने वालो की
और मासूम मुहब्बत
बाज़ार मे अपना मोल
नही पाएगी ?
आशिकी को इतना बढ़ा देगी
जेब भरेगी
गिफ्ट बनाने वालो की
और मासूम मुहब्बत
बाज़ार मे अपना मोल
नही पाएगी ?
सोचता होगा
लैला का दीवाना मजनू भी सोचता होगा
हीरा का राँझा भी सोचता होगा
प्यार करके क्या गुनाह किया उसने
ज़माना उनके नही किसी और के नाम पर
प्यार का दिन मना रह होगा ?
हीरा का राँझा भी सोचता होगा
प्यार करके क्या गुनाह किया उसने
ज़माना उनके नही किसी और के नाम पर
प्यार का दिन मना रह होगा ?
Friday, 8 February 2008
खून
खून पी जाएगा इंटरनेट का
बचने भी नही देगा माउस
की बोर्ड थक जाएगा
सीपीयू चिल्लाता रह जाएगा
न देख सिस्टम को ऐसी
कातिल निगाह से !!
बचने भी नही देगा माउस
की बोर्ड थक जाएगा
सीपीयू चिल्लाता रह जाएगा
न देख सिस्टम को ऐसी
कातिल निगाह से !!
दौर
सीख लेते थे सिखा देते थे
वो दौर वफ़ा का था !!
दोस्ती तुम्हारी नूर था खुदा का
और तुमने भी समझा हमको
इस काबिल ......
वो दौर वफ़ा का था !!
दोस्ती तुम्हारी नूर था खुदा का
और तुमने भी समझा हमको
इस काबिल ......
जैसा था !
पुरानी डायरी के कुछ पन्ने पलटे
बस तुम्हारा ही ज़िक्र था
ऐसा लगा बस तारीख पुरानी है
मेरा हल तो बस वैसा है
जैसा था !
बस तुम्हारा ही ज़िक्र था
ऐसा लगा बस तारीख पुरानी है
मेरा हल तो बस वैसा है
जैसा था !
Thursday, 7 February 2008
सच्ची बात
दिल की बात है दिल से ही होगी
ये दुनियादारी हमसे न होगी
तुम कहा मानो सो मानो दुनिया का
मैं तो चला वहीं जा ये दिल ले चला
फिक्र क्यों करूं अब मैं ज़माने की
जब मिल गयी दिल से दिल की लगी
वो सोचते तो होंगे आज भी मेरे बारे मे
दिल की गफलत ही सही पर
ख्याल तो अच्छा है ।
जो भी सोचा वो न कहा
तेरे करीब आके न जाने क्या हुआ ?
दिल की तरफदारी न करूं तो क्या करूं
बस वो ही तो है जो कहता है अब भी
सच्ची सच्ची बात
ये दुनियादारी हमसे न होगी
तुम कहा मानो सो मानो दुनिया का
मैं तो चला वहीं जा ये दिल ले चला
फिक्र क्यों करूं अब मैं ज़माने की
जब मिल गयी दिल से दिल की लगी
वो सोचते तो होंगे आज भी मेरे बारे मे
दिल की गफलत ही सही पर
ख्याल तो अच्छा है ।
जो भी सोचा वो न कहा
तेरे करीब आके न जाने क्या हुआ ?
दिल की तरफदारी न करूं तो क्या करूं
बस वो ही तो है जो कहता है अब भी
सच्ची सच्ची बात
Wednesday, 6 February 2008
Tuesday, 5 February 2008
अच्छा
हमने देखे थे सपने जाने कैसे कैसे
तुमको दुनिया से चुरा के दूर
ले जाना चाहता था
अब हो गया जो दूर तुमसे मैं
कुछ भी तो अच्छा नही लगता
तुमको दुनिया से चुरा के दूर
ले जाना चाहता था
अब हो गया जो दूर तुमसे मैं
कुछ भी तो अच्छा नही लगता
मखमल
मखमल का गलीचा बिछाने की
आरजू थी
सपने दिखाता और देखता था मैं
तुम भी नादाँ बनके कभी भी
मुझे सच से रूबरू नही होने देती थी
आरजू थी
सपने दिखाता और देखता था मैं
तुम भी नादाँ बनके कभी भी
मुझे सच से रूबरू नही होने देती थी
जुदाई
जुदा होने के डर से मैं घबरा जाता था
लगता था कि जी ही नही पाउँगा तेरे बिना
अब हमको बिछडे हुए हो गए कई साल
जाने कैसे जी रह हूँ मैं ?
लगता था कि जी ही नही पाउँगा तेरे बिना
अब हमको बिछडे हुए हो गए कई साल
जाने कैसे जी रह हूँ मैं ?
मिलना
हम मिलते थे तो अच्छा लगता था
न मिलते तो बुरा लगता था
जाने क्या बात थी ऐसी
जब मिलते थे हम
ज़माना जलता था
नही मिलने पे ज़माने को
अच्छा लगता था
न मिलते तो बुरा लगता था
जाने क्या बात थी ऐसी
जब मिलते थे हम
ज़माना जलता था
नही मिलने पे ज़माने को
अच्छा लगता था
Monday, 4 February 2008
Sunday, 3 February 2008
जब भी
जब भी आता हूँ मैं वहाँ
तुम्हारा दीदार हो जाता है
जाने कैसे ?
मैं नही जानता
तुमको पता हो तो ई मेल कर देना
.........@जीमेल.कॉम मालूम है न !!
तुम्हारा दीदार हो जाता है
जाने कैसे ?
मैं नही जानता
तुमको पता हो तो ई मेल कर देना
.........@जीमेल.कॉम मालूम है न !!
हर ख्याल
मेरा हर ख्याल तुझसे है
सांसो की रवानी तुझ से है
और क्या कहूं मैं
जाने वफा
मेरे दिल की
धड़कन तुझ से है
सांसो की रवानी तुझ से है
और क्या कहूं मैं
जाने वफा
मेरे दिल की
धड़कन तुझ से है
राहों मे
वो वाकया भूल नही सकता
फूल जिसकी खुशबू अभी तक
हवाओं मे है
बेकरार कर देने वाली
तेरी वो अदा
अब तक मेरे दिल की
राहों मे हैं
फूल जिसकी खुशबू अभी तक
हवाओं मे है
बेकरार कर देने वाली
तेरी वो अदा
अब तक मेरे दिल की
राहों मे हैं
Saturday, 2 February 2008
सजते हुए
तुम खिड़की से जब सजते हुए देखा था
वो महीना था फरवरी का
बालो को तुम बना रही थी
दो चोटी मे पीला फीता
दिखा था
वो महीना था फरवरी का
बालो को तुम बना रही थी
दो चोटी मे पीला फीता
दिखा था
आने को है
लगता है की दिलबर मेरा अब आने को है
उसकी आमद का असर हवाओं मे है
खुशबू बता रही ये मुझको
वो मेरे क़रीब आने को है
उसकी आमद का असर हवाओं मे है
खुशबू बता रही ये मुझको
वो मेरे क़रीब आने को है
इजहार किया
तस्वीर से कहा ,सौ दफे कहा
सपने मे हजार बार कहा
कौन कहता है मैंने कभी
प्यार का इजहार नही किया
सपने मे हजार बार कहा
कौन कहता है मैंने कभी
प्यार का इजहार नही किया
Friday, 1 February 2008
सिलसिला
सिलसिला निकल पड़ा
बात जिद से शुरू हुई
और दिल भी
जिद पर अड़ गया
वो चाहे या न चाहे
दिल उनको ही चाहने लगा
बात जिद से शुरू हुई
और दिल भी
जिद पर अड़ गया
वो चाहे या न चाहे
दिल उनको ही चाहने लगा
दिल की बात
दिल की बात है दिल मे रह जाती है
कभी कभी ही ज़ुबा पर आती है
देखो अब इशारा भी नही करती
क्या बला कि हुस्नो मल्लिका
बात बात पर बस गुस्सा करती है
कभी कभी ही ज़ुबा पर आती है
देखो अब इशारा भी नही करती
क्या बला कि हुस्नो मल्लिका
बात बात पर बस गुस्सा करती है
तुम्हारे पास
तुम्हारे पास आकर जाने का दिल नही करता
कोई दुनिया मे फिर नही दिखता
क्या यही है मुहब्बत कि
तुमसा हसीं कोई भी नही लगता
कोई दुनिया मे फिर नही दिखता
क्या यही है मुहब्बत कि
तुमसा हसीं कोई भी नही लगता
दिल से
वो अक्सर किताबो कि बात करता है
किताब जैसा ही सोचता और कहता है
मेरा यकीन है वो बस किताबी है
बंद कर दो कोई उसे किताबो मे
किताब जैसा ही सोचता और कहता है
मेरा यकीन है वो बस किताबी है
बंद कर दो कोई उसे किताबो मे
भीगा भीगा
मौसम इस सावन मे
भीगा भीगा होगा
साजन होंगे संग तो
बारिश से भीगेगा
जो न होंगे संग
तो नैनो से
भीगा भीगा होगा
भीगा भीगा होगा
साजन होंगे संग तो
बारिश से भीगेगा
जो न होंगे संग
तो नैनो से
भीगा भीगा होगा
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