सिलसिला बातो का ख्यालो का (दिल में आया ख्याल तो बस लिख दिया !!)
चलते फिरते बिना प्रयोजन से लिखी बातो का सिलसिला !!
Wednesday 13 February, 2008
माँ
हजार मील दूर से भी जान जाती है
कि पीठ मे दर्द है
मैंने खाना नही खाया
मैं लापरवाही करता हूँ
वक़्त से उठता नही
वक़्त पे सोता नही
अकेलेपन से ऊब जाता हूँ
मेरी ऐसी ही कितनी बातें हैं
जो चाहकर भी तुझसे
छिपती नही हैं
माँ !!
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