सिलसिला बातो का ख्यालो का (दिल में आया ख्याल तो बस लिख दिया !!)
चलते फिरते बिना प्रयोजन से लिखी बातो का सिलसिला !!
Sunday, 10 February 2008
चांद रात
चाँद रात है
हवा भी सर्द है
ख़ुशी का मेरी ठिकाना नही
तू भी तो क़रीब है
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment