Tuesday 19 February, 2008

चलते चलते

जीवन का क्या है चलता जाएगा
फिर एक रोज़ रुक जाएगा

कभी मन निराशा से डूब जाता है
और कभी आशा में गीत गाता है

आज जो है कल नही होगा
ज़िन्दगी में पता नहीं कब क्या होगा

अब तो कोई इशारा करो
मैं थक गया इस तरह चलते चलते

(sent mail to trishna jan2007)

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