सिलसिला बातो का ख्यालो का (दिल में आया ख्याल तो बस लिख दिया !!)
चलते फिरते बिना प्रयोजन से लिखी बातो का सिलसिला !!
Tuesday, 19 February 2008
चलते चलते
जीवन का क्या है चलता जाएगा
फिर एक रोज़ रुक जाएगा
कभी मन निराशा से डूब जाता है
और कभी आशा में गीत गाता है
आज जो है कल नही होगा
ज़िन्दगी में पता नहीं कब क्या होगा
अब तो कोई इशारा करो
मैं थक गया इस तरह चलते चलते
(sent mail to trishna jan2007)
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment