एक वादा चांद करता है
चांदनी से रोज़ रात
चुपके चुपके
चांदनी भी अलसाई अंगडाई लेकर
मान लेती है वो वादा
चुपके चुपके
आगोश मे जब भरता है चांद
वो यद् दिला देती है वादा
चुपके चुपके
आस्मान नज़ारा करता है
हर रात चांद के मिलन का
चांद को लगता है
उसे कोई देखता है
चुपके चुपके
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