Thursday, 14 February 2008

दीवार

एक दीवार दुनिया की
एक दीवार तुम्हारी
रोक लेती है
टोक देती है

बहने से हवाओं को

रोक लेती है
टोक देती है

खिलने से फूलों को
रोक लेती है
टोक देती है
पत्तो को गुनगुनाने से

रोक लेती है
टोक देती है
आस्मान को शामियाने बनाने से

दीवार दीवार दीवार ......
हम सबके भीतर
कभी कोई बना देता है
कभी हम बना देते है
दीवार दीवार दीवार

रोक लेती है
टोक देती है

परवाज़ को उड़ने से
बच्चो को पतंग उड़ाने से
साजो को सुनाने से
आवाज़ को सच बताने से !!

तोड़ दो फोड़ दो
अपने भीतर बाहर और
इर्द गिर्द की हर दीवार को !!!

हवाओं को आने दो
परवाज़ को उड़ने दो
बच्चो को पतंग उड़ाने दो
साजो को संगीत बिखेरने दो

आवाज़ को सच बताने दो
फूलों को खिलने दो
कलियों को मुस्कुराने दो !!

No comments: