सिलसिला बातो का ख्यालो का (दिल में आया ख्याल तो बस लिख दिया !!)
चलते फिरते बिना प्रयोजन से लिखी बातो का सिलसिला !!
Saturday, 2 February 2008
सजते हुए
तुम खिड़की से जब सजते हुए देखा था
वो महीना था फरवरी का
बालो को तुम बना रही थी
दो चोटी मे पीला फीता
दिखा था
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