सिलसिला बातो का ख्यालो का (दिल में आया ख्याल तो बस लिख दिया !!)
चलते फिरते बिना प्रयोजन से लिखी बातो का सिलसिला !!
Friday 15 February, 2008
ज़ंग
ज़ंग नही होने देना
मुफ्त का गम नही लेना
जो मज़ा सुकून मे है
वो मज़ा ही लेना
ज़ंग नही होने देना
ज़ंग नही होने देना
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