सिलसिला बातो का ख्यालो का (दिल में आया ख्याल तो बस लिख दिया !!)
चलते फिरते बिना प्रयोजन से लिखी बातो का सिलसिला !!
Tuesday, 5 February 2008
अच्छा
हमने देखे थे सपने जाने कैसे कैसे
तुमको दुनिया से चुरा के दूर
ले जाना चाहता था
अब हो गया जो दूर तुमसे मैं
कुछ भी तो अच्छा नही लगता
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