चलते फिरते बिना प्रयोजन से लिखी बातो का सिलसिला !!
Friday, 29 February 2008
इंटरनेट पे
मिट जाएगा इक रोज़ निशा दुनिया मे पर रह जाएगा नामों निशा इंटरनेट पे फ़ना हो जाए चाहे मेरी हस्ती दुनिया मे रह जाएगा नमो निशा इंटरनेट पे धड़कती सवेंदना से माउस को थामना मेरी डायरी के पन्नों पे चले आना मे मिल जाऊंगा गुनगुनाते गीतों की तरह इंटरनेट पे
1 comment:
बहुत बढिया!अच्छा प्रयास है।
:)हमारी टिप्पणीयां भी
मिल जाएगी
इंटर्नेट पे
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