Saturday, 23 February 2008

इबादत

मैं सजदे मे हूँ इश्क तेरे
मेरी रूह का कहना है कि
तू मेरा मसीहा है ।

तेरी नजरो मे खुदा है
तेरी यही बात सबसे जुदा है

मैं सजदे मे हूँ इश्क तेरे
मेरी रूह का कहना है कि
तू मेरा मसीहा है

तेरी इबादत से खुदा रूठ जाए
मुझे डर नही ,मुझे यकीन है
खुदा को भी तुझ मे खुदा नज़र आता होगा

फ़िर भला कैसे एक खुदा दुसरे खुदा से रूठेगा
मेरी इबादत मुक्कमल है मेरी रूह का कहना है

मैं सजदे मे हूँ इश्क तेरे
मेरी रूह का कहना है कि
तू मेरा मसीहा है

ज़माना चाहे मुझे काफिर कह दे
चाहे फ़िर फतवे दे दे
मैं चाहूँगा खुदा मेरी इस गुस्ताखी पे
मुझे माफी दे दे .......

रुसवा हो जो खुदा तो तेरा दामन मिल जाएगा
तू अगर रुसवा हो जाए तो खुदा भी रूठ जाएगा

तेरे जिस्म मे आके ली थी सांसे मैंने
मेरी माँ मेरी ज़िंदगी
इस दुनिया मे तुझसा हसीं कौन मुझे मिल पायेगा ?
मुझे ये मालूम न था कि तुझ मे ही मुझे खुदा मिल जाएगा !!

मैं सजदे मे हूँ इश्क तेरे
मेरी रूह का कहना है कि
तू मेरा मसीहा है !!

1 comment:

karmowala said...

माँ शब्द को प्यार के एक नए अर्थ मैं देख कर कुछ हुआ पर ये ज्ञात नहीं की खुसी हुई अथवा दुःख लकिन माँ सचमुच एक खुदाई है एस जहाँ मैं क्दुरत जिसे खुदा हर पल उसको सलाम करता होगा