सिलसिला बातो का ख्यालो का (दिल में आया ख्याल तो बस लिख दिया !!)
चलते फिरते बिना प्रयोजन से लिखी बातो का सिलसिला !!
Monday, 25 February 2008
उजाले
अब उजाले चारो ओर नज़र आतें हैं
जब से तुम बने मेरे हमनवां
मैं कोशिश मे हूँ कि को समंदर कर दूँ
मैं कोशिश मे हूँ कि तारों को नज़र कर दूँ
चंद रोज़ मे बदल जाएगा ये मंज़र
यकी है संवर जाएगा मुक़द्दर
शुभ घड़ी आ रही है
ज़िंदगी गा रही है !!
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