Sunday 10 February, 2008

पैमाइश

दिल की हसरत है ,पूरी ज़रूर होगी
दिल से चाहा है जैसे वो बात मुक्कमल होगी

पैमाइश की हसरत है , वजूद भी साबित हो जाएगा
फिक्र कैसी आज जो जिक्र नही कहीं पर भी अपना

एक वक़त ऐसा भी आएगा
जब हर तरफ अपनी ही बात होगी .

आईना देखकर घर से निकलते नही
चेहरा जो पहचाना सा लगता है

रूह से खुद को देख लिया
खुद से खुद की मुलाक़ात भी होगी .

ज़िंदगी के माने अभी अधूरे ही सही
हमने कभी भी इस बात का बुरा नही माना

ज़िंदगी का दीदार भी होगा पूरा पूरा
ये आरजू भी पूरी होगी !!

नही गम नही ख़ुशी एक सादगी ही झलकती है
ख़ुशी और गम से भी बड़ी बात पूरी होगी .

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