सिलसिला बातो का ख्यालो का (दिल में आया ख्याल तो बस लिख दिया !!)
चलते फिरते बिना प्रयोजन से लिखी बातो का सिलसिला !!
Wednesday, 20 February 2008
चादर
चांद ने ओढ़ रखी थी
बादलों की चादर
जैसे उसको भी सर्दी लगती हो
मौसम गरमी का आते देख
चांद ने छोड़ दी बादलों की चादर !!
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