सिलसिला बातो का ख्यालो का (दिल में आया ख्याल तो बस लिख दिया !!)
चलते फिरते बिना प्रयोजन से लिखी बातो का सिलसिला !!
Tuesday, 12 February 2008
बसंत
मौसम की तरंग है
फूलों पे रंग है
वसुधा के कण कण मे
तरंग है
ये बसंत है
ये बसंत है
मन पुलकित है
हर्षित है .....
जीवन की ताजी ताजी
ये पतंग है ॥
ये बसंत है
ये बसंत है
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