सिलसिला बातो का ख्यालो का (दिल में आया ख्याल तो बस लिख दिया !!)
चलते फिरते बिना प्रयोजन से लिखी बातो का सिलसिला !!
Sunday 10 February, 2008
कोहराम
कुछ तो करो कुछ तो करो
बड़ी देर से खामोश हो
चुप रहोगे इतना तो कोई
भी अफसाना नही बनेगा
जिंदा रहने के लिए चिल्लाना
ज़रूरी है
जिन्दगी की यही बस मजबूरी है
खामोश न रहो
कोहराम मचा दो
खामोश न रहो
कोहराम मचा दो !!
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